दिनाँक 22-11-15 को IBN-7 नामक राष्ट्रीय चेनल पर गर्मा- गरम बहस चली |
राजस्थान हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि -मंदिर की संपत्ती का उपभोग पुरोहित व्यक्तिगत नही कर सकता | क्यों न मंदिर. पुरोहितों को वेतन दे --? इस आदेश को पुरोहितों ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय मे चुनौती दिया है |
अब इस विषय पर कोर्ट मे बहस का प्रमुख बिन्दू यह था कि -- राजस्थान सरकार के 1955 के जमीन्दारी एक्ट के तहत इन मंदिरो का ऱजीस्ट्रेशन है | जमीन्दारी एक्ट के तहत जिनके पास सैकडो / हजारो एकड जमीन थी , और उस जमीन को अलग -अलग लोगो को खेती करने के लिये लगाया था , वह जमीन उन किसानो के नाम पर पंजीकृत कर दी और जिस पर स्वंय जमीन्दार खेती करता था वह उनके नाम पर ही रहने दी | इसी कानून के तहत भगवान के नाम पर मंदिरों को दान स्वरुप मिली सैकडो एकड जमीन भी पंजीकृत की गयी | यंहा तक कोई विवाद नही था | जब मंदिर की सैकडो एकड जमीन का उत्पन्न लाभ पुजारी स्वंय उपभोग करने लगा | तब कुछ बुद्धीजीवीयों ने इसे हाई कोर्ट मे याचिका किया | इस पर पुजारी के वकील ने कोर्ट मे पक्ष रखा कि - भगवान नाबालिग है इसलिये भारतीय कानून के अनुसार नाबालिग की संपत्ती उसके केयर टेकर / रखवाले के अधिपत्य मे आती है |
याने कि संपत्ती पर कब्जा करने के लिये भगवान को नाबालिग बना दिया | और उसी मंदिर मे दान और अन्य कर्म -काण्ड करने के लिये भगवान को सर्वशक्तीमान सृष्टी का रतियता बना दिया | ये दो थ्योरी एक साथ सामने आयी है |
याने कि संपत्ती पर कब्जा करने के लिये भगवान को नाबालिग बना दिया | और उसी मंदिर मे दान और अन्य कर्म -काण्ड करने के लिये भगवान को सर्वशक्तीमान सृष्टी का रतियता बना दिया | ये दो थ्योरी एक साथ सामने आयी है |
पुरोहित अपने फायदे के लिये भगवान को चाहे तो सर्वशक्तीमान बना दें या नाबालिग , जो कि अपना ख्याल भी नही रख सकता | इसका सिधा अर्थ यह निकलता है कि यह सब खेल धन का है | जिसके लिये पुरोहित की सुविधानुसार भगवान का स्वरुप बनाया जाता है |
अब सवाल उठता है कि --- पुरोहित जी -- आपका भगवान कितने हजार साल मे बालिग होगा |
अब सवाल उठता है कि --- पुरोहित जी -- आपका भगवान कितने हजार साल मे बालिग होगा |
तर्क की कलम से
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