Wednesday, 25 November 2015

नाबालिग भगवान

दिनाँक 22-11-15 को  IBN-7 नामक राष्ट्रीय चेनल पर गर्मा- गरम बहस चली |
राजस्थान हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि -मंदिर की संपत्ती  का उपभोग पुरोहित व्यक्तिगत नही कर सकता | क्यों न मंदिर. पुरोहितों को वेतन दे  --?  इस आदेश को पुरोहितों ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय मे चुनौती दिया है |
अब इस विषय पर कोर्ट मे बहस का प्रमुख बिन्दू  यह था कि  -- राजस्थान सरकार के 1955  के  जमीन्दारी एक्ट के तहत  इन मंदिरो का ऱजीस्ट्रेशन है |  जमीन्दारी एक्ट के तहत जिनके पास  सैकडो / हजारो एकड जमीन थी , और उस जमीन को अलग -अलग  लोगो को खेती करने के लिये लगाया था  , वह जमीन उन किसानो के नाम पर पंजीकृत कर दी और जिस पर स्वंय जमीन्दार खेती करता था वह उनके नाम पर ही रहने दी |      इसी कानून के तहत भगवान के नाम पर मंदिरों को  दान स्वरुप मिली सैकडो एकड जमीन  भी पंजीकृत की गयी |  यंहा तक कोई विवाद नही था | जब  मंदिर की सैकडो एकड जमीन का उत्पन्न लाभ पुजारी स्वंय उपभोग करने  लगा | तब कुछ बुद्धीजीवीयों ने इसे हाई कोर्ट मे याचिका किया |  इस पर  पुजारी के वकील ने कोर्ट मे पक्ष रखा कि  - भगवान नाबालिग है  इसलिये भारतीय  कानून के अनुसार  नाबालिग की संपत्ती उसके केयर टेकर / रखवाले के अधिपत्य मे आती है |
याने कि संपत्ती पर कब्जा करने के लिये भगवान को नाबालिग बना दिया | और उसी मंदिर मे दान और अन्य कर्म -काण्ड करने के लिये भगवान को सर्वशक्तीमान सृष्टी का रतियता बना दिया | ये दो थ्योरी एक साथ सामने आयी है |
पुरोहित अपने फायदे के लिये  भगवान को चाहे तो सर्वशक्तीमान बना दें  या  नाबालिग , जो कि अपना ख्याल भी नही रख सकता |   इसका सिधा अर्थ यह निकलता है कि यह सब खेल धन का है | जिसके लिये पुरोहित की सुविधानुसार भगवान का स्वरुप बनाया जाता है |
अब सवाल उठता है कि --- पुरोहित जी -- आपका  भगवान  कितने हजार साल मे बालिग होगा |
           तर्क की कलम से
           ------------------------
MAJLIS TODAY
Weekly Hindi News Paper

No comments:

Post a Comment