Friday 27 November 2015

अनुपम खेर साहब के नाम खुला पत्र।

मा. अनुपम खेर साहब आपने जो असहिष्णुता के विरोध में जो साहित्यकार अपने पुरस्कार वापस कर रहे है उसके विरोध में अपने जो मार्च निकाला उससे मै काफी हद तक सहमत हूँ।
फालतू में ही कुछ लोगो ने देश में असिहनुत का हौव्वा खड़ा कर रखा था।
क्या हमारे देश के लोग इतने असहिष्णु हो सकते है? यह सोचकर मै भी हैरान था।आपने बहुत सही किया 1 show को fail करने लिए दूसरा बड़ा show किया।

और सच ही तो है जब हमें किसी रेखा को छोटा करना होता है democracy में बिना उसे नुकसान पहुचाये, तब हम उसके सामने उससे भी बड़ी रेखा बना देते है ।
फिर वो रेखा अपने आप ही छोटी होजाती है या छोटी लगने लगती है।
क्योकि गणतंत्र में हम उसे मारपीट कर या दबंगाई से छोटा तो नही  कर सकते...

यह सब अपने अपने दृष्टिकोण, नज़रिये से लोग देकते है और वैसा ही समझ बैठते है।
इसी विषय में मै आपके knowledge में थोडा बढ़ावा करना चाहता हु निचे दिए गए बिंदु और सवालो के ज़रिये ये आपके बहुत काम आयेगे।

1.अभी अभी कुछ दिनों या महीनो पहले मीडिया ने दिखाया था और पुरे देशने देखा था के, मुस्लिम मोहल्लों में हिंदू लोग घर नही ले सकते।

2.हिंदू लोगो के मोहल्लों में मुस्लिम लोग घर नही ले सकते।

3.गुजरातियो की बस्तियों में मराठी लोग घर नही ले सकते।

4.vegetarians के मोहल्लों में non vegetarian घर नहीं बना सकते।
यह सब असहिष्णुता कहा है, यह तो लोगो की अपनी अपनी choice है।

5.RSS प्रमुख का घर वापसी पर यह बयान "चोरी गया माल वापस लेना कोई बुरी बात नही है", कोई भी असहिष्णुता भरा बयान नही है।

6.साध्वीजी का यह बयान के "आपको हरामजादो की सरकार चाहिए या रामजादो की"। यह कोई सहिष्णुता नहीं दर्शाता।
7.दादरी, मुज़फ्फर नगर जैसी घटनाय तो देश में भाईचारा दिखाती है।

8. आये दिन दिल्ली के आसपास के churches पर हो रहे हमले कोई धार्मिक उन्माद नही होसकते।

9.चर्चों में घुस कर तोड़-फोड़ करना, jesus की मूर्ति तोड़कर हनुमानजी की मूर्ति रख देना तो बड़ा प्रेम बरसाता है।

10. "मदरसो में आतंकवादी पढ़ते है।" यह बयान तो देश को बहुत आगे लेजाने वाला प्रतीत होता है।

11.ताज महल कोई मुस्लमान की कब्र नहीं बल्के शिव मंदिर था । यह बयान तो बहुत ही प्रेम बरसात है... है ना अनुपमजी..?

12. हरयाणा के सुनपेड गांव में 1 दलित परिवार को ज़िन्दा जला देना, यह तो बहुत ही शांति प्रिय कार्य था... है ना...?

13.गाय के ऊपर BJP नेताओं के बयान तो जैसे हमारे देश को UNSC permanent seat ही दिलाने वाले है।

14.love jihad वाले बयांन तो जैसे देश को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार ही दिला दे।

15.दक्षिण के टीपू सुल्तान जीनके मेहल के प्रांगण में खुद 1 मंदिर था और उनके प्रधान मंत्री पूर्णय्या पंडित खुद 1 ब्राह्मण थे, उन्हें हज़ारो ब्राह्मणों का कातिल बताना और बदनाम करके उनकी जयंती के कार्यक्रम का विरोध करना, ताके इतिहास के मुस्लिम शासको को villain बनाया जासके। यह कार्य तो जैसे देश को स्वर्ग ही बना देगा... है ना अनुपम साहब...?

16.सानिया मिर्ज़ा का तेलंगाना राज्य का brand ambassador बन्ने पर सिर्फ इसलिए विरोध करना के वो मुस्लमान है, तो जैसे देश जैसे देश को super power ही बना देगा।

17.अंधश्रद्धा पर बननेवाली फ़िल्म OH my GOD जो की PK से भी ज़्यादा खतरनाक और धार्मिक भवनाये भड़काने वाली फ़िल्म थी उसका विरोध न कर के सिर्फ PK फ़िल्म का विरोध करना और आमिर खान के पोस्टर जलाना सिर्फ इसलिए के वो मुस्लमान है यह तो शायद आपकी नज़र में कुछ भी नहीं है।

18. जिस आमिर खान ने कहा था के श्रीकृष्ण का role play करना उनका सपना है उनका विरोध करना असहिष्णुता के मुद्दे पर यह तो जैसे बहुत ही सभ्य लोगो का है ?

19. जिस सलमान खान ने देश को गौरांवित करनेवाली फ़िल्म "बजरंगी भाईजान" बनाई और जिस सलमान ने hit and run case में जज द्वारा धर्म पूछे जाने पर कहा था मै सिर्फ indian हु,
उस सलमान पर साध्वी प्राची की यह टिपण्णी के उन्हें सिर्फ इसलिए ज़मानत मिलगायि क्योंकि वो मुस्लमान थे, हिंदू होते तो ज़मानत कभी नहीं मिलती। यह तो जैसे बहुत ही सवेदनशील बयान था... है ना...?

20. मुंबई में आसिफ शेख़ और दानिश शेख़ को तड़पा तड़पा कर जान से मार देना, सिर्फ इसलिए के वो मुस्लमान थे।
यह तो बहुत ही बड़ा शांति का प्रतीक है... है ना ?

21.scientists जिनका राजनीती से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं उनका अपने पुरस्कार लौटाना तो शायद बहुत ही शर्मनाक कार्य था आपकी नज़र में ।

22. हमारे देश के प्रधान मंत्री मोदीजी को सिर्फ विदेश में ही गांधीजी और गौतम बुद्ध  याद आते है यह देखकर गान्धीजी तो बहुत ही खुश हुवे होंगे जब के उन्ही की पार्टी के लोग यहाँ भारत में गांधी को गालियाँ देते है। यह देख्कर तो उनकी आत्मा को बहुत ही शांति मिल रही होगी।

23.और एक बात अगर दो व्यक्ति झगड़ा कर रहे हो और उसमे से 1 ने दूसरे को बुरी तरह पीट दिया हो, तब पीटने वाले से नही पूछते के, आपको कितनी तकलीफ हो रही है या दर्द हो रहा है बल्कि मारखाने वाले से पूछते है की आपको तकलीफ़ या दर्द तो नहीं हो रहा...।
और उसपर कमाल की बात तो यह की, मारखाने वाले से यह कहना के चुप चाप सहते जाओ अपना दर्द किसीको न बताओ यह खुद आपने आप में 1 बहुत बड़ा असहिष्णुता भरा और असंवेदनशील काम है...।

सच में पानी से आधा भरा हुवा गिलास, आधा भरा हुवा है या आधा खाली है यह तो देखनेवालों के नज़रिये, दृष्टिकोण पर निर्भर करता है।

वैज्ञानिकों और साहित्यकारों का पुरस्कार, सम्मान लौटाना अगर आपको नाटक लगता है तो उससे बड़े नाटकबाज तो आप है जिन्होंने ऊपर की घटनाओ के ख़िलाफ़ मार्च निकाला। वैसे मेरे देश के 70 सालो पर 70 सवाल थे पर आप इतनो का ही जवाब देदे तो काफी है।

खैर इसका फैसला तो जनता करेगी।

और आमिर तो कहता ही है सोच बदलो देश बदलों।।

शांति दूत,
पत्रकार कामरान सिद्दीकी.
8605181857.
शांति दल, पुणे

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