Sunday 22 November 2015

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी...

क्या यह हैरत और क्षोभ की बात नहीं है कि किसी भी आतंकवादी हमले के पीछे यदि किसी मुस्लिम संगठन का नाम आने की खबर अदना से अदना चेनल पर या न्यूज़ पेपर में शाया हो जाये तो आप उस पर आँख मूँद कर विश्वास कर लेते हैं , मगर जब कई कई विश्वस्त वेबसाइटों से इस बात की पुष्टि होती है कि isis वास्तव में यहूदियों का संगठन है और इसका प्रमुख अल-बगदादी वास्तव में मोसाद का एजेंट " इलियट शिमोन " . है ...तब आप इतनी बड़ी बुद्धि रखने के बावजूद इस पर भरोसा नहीं करते और कहते हैं कि नहीं , isis तो एक इस्लामी संगठन है और उसके द्वारा की गयी हत्याएं इस्लाम के खाते में ही जमा की जाएँगी .
.
जब कभी मानवता में विश्वास रखने वाले लोग यह कहते हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता , तो आपके तन-बदन में आग क्यों लग जाती है ? आपको इस्लाम की चीरफाड़ करने और गरियाने का मौका हाथ से फिसलता नज़र आता है . तब आप कहते हैं कि isis के झंडे पर कलमा लिखा है और वे अल्लाहो अकबर कह कर लोगों को मौत के घाट उतार रहे हैं तो अब कैसे कहें कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता ...

तो जनाब --आप ने कभी ये क्यों नहीं कहा कि इराक में 10 लाख मुसलमानों को मौत के घाट उतारने वाले अमेरिका का धर्म क्या है ? आपने कभी ये क्यों नहीं कहा कि लाखों फिलिस्तीनियों की हत्या करने वाले इस्राएलियों का धर्म क्या है ? आपने ये क्यों नहीं कहा कि हजारों रोहिंग्याई मुसलमानों के हत्यारे भिक्षुओं का धर्म क्या है ? आपने कभी ये क्यों नहीं कहा कि गुजरात में 5000 मुसलमानों को जला कर मार डालने वालों का धर्म क्या था ? आखिर जब किसी " नाम धारी " मुस्लिम संगठन द्वारा की गई हत्याएं इस्लाम के खाते में जमा कर दी जाती है तो ईसाईयों , यहूदियों , बौद्धों और हिन्दुओं द्वारा की गई हत्याओं की क्रेडिट उनके धर्म को क्यों नहीं दे देते आप ?

आप तो दिन रात नेट पर बैठ कर दीनो-दुनिया की एक एक खबर को चाट डालते हैं .. क्या आपको नहीं मालुम कि " INSPIREDTOCHANGEWORLD .com " में खबर आई थी कि isis वास्तव में CIA और मोसाद के लिए काम कर रहा है और उसका मकसद मुस्लिम देशों में तबाही मचा कर और उन्हें कमज़ोर कर के एक " ग्रेटर इजराइल " का निर्माण करना है ? क्या आपको नहीं मालूम कि कई अख़बारों में और WEBSITES में अल बगदादी अर्थात एलिओट शिमोन को मोसाद और सीआईए के अधिकारीयों से मिलता हुआ बताया गया है ? क्या आपको नहीं मालूम के यही isis वालों की जब नमाज़ पढ़ते हुए फोटो कहीं ज़ाहिर होती है तो कोई पूर्व की तरफ मुंह कर के नमाज़ पढ़ रहा होता है कोई पश्चिम की तरफ --जो यह साबित करता है कि ये लोग मुसलमान हैं ही नहीं . क्योकि एक मुसलमान को कम से कम यह तो जानकारी होती ही है कि क़िबला किस तरफ है और उस के बाद साथ के सारे मुसलमान उसी एक दिशा की तरफ मुंह कर के नमाज़ पढ़ते हैं ? आपको यह भी मालूम होगा कि पिछले साल पेशावर में सैकड़ों बच्चों के हत्यारे " तहरीके-तालिबान " नामक संगठन के एक आतंकवादी को पकड़ा गया और उससे " पहला कलमा " पढ़ने को कहा गया तो वह पहला कलमा भी नहीं पढ़ पाया था , जो इस बात को साबित करता था कि वह शख्स भी " मुसलमान " नहीं है क्योकि एक मुसलमान को कम से कम कलमा तो याद रहता ही है चाहे वह कुरान या हदीस पढ़ा हो या न पढ़ा हो.

उसी तरह यह खबर भी कितनी भ्रामक और माथा ठनकाने वाली है कि सीरिया से 50000 मुसलमान isis की तरफ से जिहाद करने के लिए इराक गए थे ! आपको इस खबर के पीछे की यह खबर भी शायद मालूम होगी कि ये पचास हज़ार मुसलमान " नव मुस्लिम " थे . क्या यह हैरत अंगेज़ बात नहीं है कि इन्होने तुरंत कलमा पढ़ा , तुरंत इनके दिल में जेहाद का शौक जागा और ये तुरंत जेहाद करने isis से मिलने इराक की जानिब चल पड़े ! !! है न अजीब हैरत की बात ? इससे भी यह साबित होता है कि ये 50000 लोग भी या तो नकली मुसलमान हैं या सिरे से मुसलमान हैं ही नहीं , बल्कि उसी isis के यहूदी गुर्गे हैं जो नाम के लिए कलमा पढ़ कर मुसलमान हो रहे हैं और मुसलमान होने के एक -दो घंटे के भीतर ही जिहाद के जज्बे से सराबोर हो कर लड़ाई लड़ने निकल पड़े है ताकि दुनिया वालों को यह सन्देश पहुंचे कि मुसलमान बनते ही आदमी मारने -काटने पर उतारू हो जाता है.

आपको याद होगा ---भारत में एक महान संगठन के कार्यकर्ता के घर से बम-विस्फोट होने के बाद नकली दाढ़ी, टोपी और कुरते -पैजामे बरामद हुए थे ....ताकि लोग ये समझें कि बम विस्फोट को मुसलमानों ने अंजाम दिया है i बस , यही रणनीति isis अपना रहा है .अपने झंडे पर कलमा लिख कर ,और बम-विस्फोट के पहले " अल्लाहो अकबर " कह कर वह लोगों में यह सन्देश देना चाहता है कि इन बम विस्फोटों के पीछे मुसलमानों का हाथ है क्योकि एक मुसलमान ही तो कलमा लिखता-पढ़ता है और अल्लाहो -अकबर की सदायें बुलंद करता है.

कुल मिला कर इस्लाम के दुश्मनों द्वारा पुरे विश्व समुदाय से इस्लाम के नाम पर एक बहुत बड़ा धोखा किया जा रहा है . इस्लामी नाम , इस्लामी परचम , इस्लामी नारे , इस्लामी टर्मिनोलॉजी का उपयोग कर के ये लोग नरसंहार कर रहे हैं ताकि लोगों की नज़र में इस्लाम , कुरान , मुसलमान और इस्लामी-विचारधारा --ये सब अपराधी , गुनाहगार और आतंकवादी साबित हो जाये और इस अपराध के आधार पर उनके लिए मुसलमानों और इस्लाम पे एक बारगी सामूहिक हमले कर के उन्हें ख़त्म करना आसान हो जाये . कल को यदि पेरिस हमले के पीछे अमेरिका या किसी अन्य देश को ईरान जैसे किसी देश का " हाथ " नज़र आ जाये और उसको आधार बना कर वह उस मुस्लिम देश या इरान पर हमला कर दे ---तो आपको आश्चर्य नहीं होना चाहिए.

सच तो यह है कि इस्लाम और मुसलमानों को मिटाने के लिए ऐसी साजिशें 1400 सालों से रची जा रही हैं . साजिशें रचने वाले वही हैं--यहूदो-नसारा , साजिशों के मोहरे वही है --इस्लामी नाम और नामधारी मुसलमान .मगर यह बात तय है कि 1400 साल पहले भी ये इंसानियत के दुश्मन नाकाम हुए थे , आज भी नाकाम हैं और क़यामत तक नाकाम रहेंगे . 
" वो अपनी चाल चल रहे थे और अल्लाह अपनी ख़ुफ़िया तदबीर चल रहा था . बेशक अल्लाह बेहतर चाल चलने वाला है ." ( अल-कुरआन )

"कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी ,
सदियों रहा है दुश्मन , दौरे-ज़मां हमारा ."

No comments:

Post a Comment