Friday 29 April 2016

मुसलमाँ है वही जो दीन पर क़ुर्बान होता है

मुसलमाँ हूँ,
यह कह लेना बहुत आसान होता है...
कुछ लोगों ने दावत व तबलीग़ पे ऊँगली उठाकर बहुत ही बेवकूफाना,काम किया है दवात व तबलीग़ एक ज़बरदस्त,शानदार,ज़िंदा,मुअस्सिर और एक मुतहर्रिक और पूरी दुनिया में मुसलमानों की सबसे बड़ी तहरीक है।
इस जमाअत की कोई membership नहीं और न किसी का registration होता है हैरत अंगेज़ तौर पे इस जमाअत ने बहुत ही ज़बरदस्त इस्लाही काम किये हैं।
इस तहरीक से जुड़ने वालों की तादाद करोड़ों में है, हिंदुस्तान पाकिस्तान से बांग्लादेश के छोटे छोटे गाँव से लेकर यूरोप अमेरिका ब्रिटेन तक यह जमाअत घर घर गश्त करती है।
इसके जलसों में जिस तरह बांग्लादेश में लाखों शरीक होते हैं इसी तरह इंडोनेशिया मलेशिया और बर्तानिया Britain में लोग शरीक होते हैं,जिसमे न कोई हंगामा होता है न कोई भगदड़ और न कोई दिखलवा होता है।
इस काम की शुरूआत #मेवात हरयाणा से हुई हज़रत मौलाना शाह मुहम्मद #इलयास काँधलवी रह ने इसकी शुरुआत की,मेवात के इलाके में "#मेव #मुसलमानों"की बड़ी तादाद रहती है जो राजपूत मुसलमान हैं जिन्होंने अहदे वुस्ता के अख़ीर में #इस्लाम क़ुबूल किया था,वह आधे मुस्लिम आधी #हिन्दू तहज़ीब के दामन में ज़िंदगी गुज़ार रहे थे,इसी बीच मेवात में "शुद्धि तहरीक" शुरू हुई,जिसका मक़सद मुसलमानों को हिन्दू बनाना था,एक ज़माने में इस तहरीक ने ज़ोर पकड़ा था ठीक उसी दौरान अंग्रेज़ भी मुसलमानों को #ईसाई बनाने की कोशिश में लगे हुए थे,इस्लाम के खिलाफ खतरों के बादल घिरे हुए थे,शाह मुहम्मद #इलयास रह ने इसको बड़ी शिद्दत से महसूस किया वह बेचैन व परेशान हो गए उन्होंने मज़ाहिर उलूम सहारनपुर से अपना सब कुछ पढ़ना पढ़ाना छोड़कर मुसलमानों के सुधार का काम शुरू किया।
1941 में पहला इज्तिमा #नूह मेवात में हुआ तक़रीबन 25,000 मुसलमानों ने शिरकत की,इससे साफ़ ज़ाहिर है कि शुरूआती दौर में ही इसे मक़बूलियत(popularity)हासिल होने लगी थी,पहली जमाअत 1946 में विदेश भेजी जो Britain और हिजाज़ गई,1970 से 1980 के बीच यह जमाअत पूरे यूरोप और अमेरिका में फेल चुकी थी,इस बीच पूरे #एशिया और #अफ्रीका के मुल्कों में इसका फेलना जारी था,#पाकिस्तान #इंडोनेशिया #मलेशिया #श्रीलंका और खुद #हिन्दुस्तान में तब्लीग़ी जमाअत ने एक बड़े पैमाने पर अपना दायरा बढ़ा दिया था।
1978 में #लन्दन में इसने अपना मरकज़(centre)बनाया और मदरसे की भी बुनियाद रखी और पूरे मुल्क में जलसे(public meetings)होने लगे।
1960 में तबलीगी जमाअत #France पहुँची और अगले 10 साल के अंदर उसने अपनी यहाँ एक जगह बना ली,2006 तक फ्रांस में इससे कई लाख मुसलमान जुड़े,2007 तक Britain की 1350 मस्जिदों में जमाअत का काम पाबन्दी से एक मुनज़्ज़म शक्ल में होने लगा 1991 में Soviet Union के बिखराव के बाद यहाँ के मुसलमानों में एक ज़बरदस्त दीनी सुधार की ज़रूरत थी जो कम्युनिज़्म के असर के तहत अपने दीन से बेगाना और अजनबी से हो गए थे ऐसे में इस दावत व तबलीग़ की मेहनत ने सेंट्रल एशिया के मुल्कों में इसने ज़बरदस्त किरदार अदा किया और मुसलमानों को अपने दीन से क़रीब करने की मुहिम छेड़ दी इस पूरे एरिया में इस का काम जारी व सारी है।
2007 तक सिर्फ इसने "कर्गीस्तान"में 10,000 से ज़्यादा मुबल्लिगीन(deen ka kaam pahunchane wale)को तैयार कर लिया जो इस्लाही कामों में बराबर लगे हुए हैं।
#अमेरिका की FBI का अन्दाज़ा है कि तब्लीग़ी जमाअत के कम से कम 50,000 हज़ार लोग सिर्फ अमेरिका में सरगर्म ए अमल हैं और 2008 तक यह जमाअत दुनिया के #213 मुल्कों में क़ाइम हो चुकी थी। एक अनुमान व अंदाज़े के मुताबिक़ इस काम से जुड़ने वालों की तादाद #150 #millionसे ज़्यादा है इन में सबसे ज़्यादा साउथ एशिया में हैं।
और इस जमाअत में क्या सिखाया जाता है क्या बताया जाता है कैसे ईमान को बनाया जाता है यह तक़रीबन सब लोगों को मालूम है जहाँ तक क़ुरआन व हदीस से इसके साबित होने की बात है तो क़ुरआन व हदीस से तबलीग़ साबित है, दावत साबित है।बल्कि फ़रज़े किफाया है।चिल्ला मूसा अलैहिस सलाम से साबित है 40 दिन के बाद ही उन्हें तौरात मिली।
फिर भी चिल्ला 4 महीने,5 महीने या 1 साल यह एक हिकमत ए अमली है एक मुनज़्ज़म तरीक़ा है बेहतर तरीके से काम करने की एक तरतीब है।
अब कोई यह भी कह सकता है कि मदरसे की ऊंचीं ऊंची बिल्डिंगे क़ुरआन व हदीस से साबित नहीं इतनी आलिशान मस्जिदें भी क़ुरआन व हदीस से साबित नहीं और अपनी बात को दूसरों तक पहुँचाने के लिए जो sound system इस्तेमाल किया जाता है वह भी क़ुरआन व हदीस से साबित नहीं अगर कोई यह कहता है तो गलत कहता है। चिल्ला 4 महीना 5 महीने 1 साल etc यह एक तरीक़ा है यह  हिकमत ए अमली है।



Kerala Fire Tragedy: A Kind Gesture from Businessmen


KOCHI: The business fraternity has come up with a helping hand for victims of the fireworks accident occurred in Kollam. 
Businessmen M A Yusuf Ali, Dr K T Rabeeulla and Ravi Pillai on Monday announced financial support to relatives of the persons who died in the mishap and those who suffered injuries. R P Group chairman Ravi Pillai announced an aid of Rs 1 lakh to relatives of the deceased, and Rs 25,000 to the injured. 
Lulu Group chairman M A Yusuf Ali said his company would give Rs 1 lakh each to families of the deceased, and Rs 50,000 to those who suffered severe injuries. Shifa Al Jazeera Medical Group chairman Dr K T Rabeeulla offered Rs 50,000 each to families of the dead.

He also offered suitable jobs to relatives of the deceased in his institutions across Gulf, depending on their qualifications.
Published: 11th April 2016 04:26 AM
Last Updated: 11th April 2016 04:26 AM
http://www.newindianexpress.com/states/kerala/Kerala-Fire-Tragedy-A-Kind-Gesture-from-Businessmen/2016/04/11/article3374230.ece

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