سوال: نپیہ وائرس کیا ہے؟
A: نپہ وائرس ابتدائی طور پر دریافت کیا گیا تھا جب اس نے ملائیشیا میں سور کے کسانوں میں دماغ کے بخار کے پھیلنے کا سبب بنائی.
سوال: کیا میں فکر مند ہوں؟
A: تھوڑا سا. جیسا کہ انسان کو انسان سے منتقل کیا جاتا ہے اور اس انفیکشن کے لئے کوئی مؤثر اینٹی ویرل تھراپی نہیں ہے.
سوال: کون کون سا خطرہ ہے؟ یہ کس طرح منتقل ہے؟
A: 1. خنزیر اور خشک گوشت کے ساتھ کام کرنے والے افراد.
2. کسانوں جو بٹس کے ساتھ رابطے میں آتے ہیں.
3. پھل لگانا پھل جو پہلے سے ہی بیٹھ کر بٹ جاتا ہے.
4. نپہ وائرس انفیکشن سے پہلے لوگوں سے رابطہ کریں.
سوال: ابتدائی علامات کیا ہیں؟
A: ابتدائی پیشکش غیر مخصوص ہے، بخار، سر درد، پٹھوں کے درد، نلاسا اور الٹی کے اچانک آغاز کی طرف سے خصوصیات. گردن کی سختی اور فوٹوفوبیا بھی دیکھا جاتا ہے.
بیماری تیزی سے ترقی کرتا ہے، شعور میں خرابی کے ساتھ * پانچ سے سات دن کے اندر کوما کا سامنا. *
بیماری تیزی سے ترقی کرتا ہے، شعور میں خرابی کے ساتھ * پانچ سے سات دن کے اندر کوما کا سامنا. *
سوال: یہ کیسے تشخیص ہے؟
A: ریڈ تشخیص ELISA کی طرف سے ہے جو فی الحال نیشنل انسٹیٹیوٹ آف وولوجی، پون میں کیا جاتا ہے.
سوال: یہ کیسے سلوک کیا جاسکتا ہے؟
A: معاون کی دیکھ بھال علاج کا مرکز ہے اور مریض مریضوں کو انتہائی دیکھ بھال کی نگرانی کی ضرورت ہوتی ہے.
اس بیماری کے لئے مخصوص تائید نہیں کیا ہے.
اس بیماری کے لئے مخصوص تائید نہیں کیا ہے.
تو روک تھام صرف ایک علاج ہے!
سوال: میں اسے کیسے روک سکتا ہوں؟
A: 1. سور اور سور ہینڈلر کے ساتھ رابطہ سے بچیں.
2. ذاتی حفظان صحت اور بھاری ہاتھ دھونے کے طریقوں کو برقرار رکھنا
3. خام پھلوں سے بچنے سے بچیں،
پھیلاؤ تک تک پہنچنے کے بعد تک صرف اچھی طرح پکایا، صاف، گھر بنا دیا کھانا استعمال کریں.
4. ذاتی طور پر ذاتی ٹرانسمیشن میں شخص سے بچنے کے لئے عوامی مقامات پر سفر یا کام کرنے کے دوران نپٹ نچوڑ کا ماسک استعمال کریں.
5. علامات سے آگاہ رہیں اور ابتدائی تشخیص اور علاج کے لئے فوری طور پر ڈاکٹر کو رپورٹ کریں.
اس پیغام کو اپنے تمام محافظوں کے ساتھ اشتراک کریں،
ساتھ ساتھ، ہم لڑسکتے ہیں اور جیت سکتے ہیں!
ساتھ ساتھ، ہم لڑسکتے ہیں اور جیت سکتے ہیں!
ڈاکٹر ارجن ایم بی، ایم ڈی
ڈاکٹر آر ایم ایل ہسپتال، نئی دہلی.
(زرد بخار کے کنٹرول کے لئے نیشنل نوڈل سینٹر اور دیگر مواصلات کی بیماریوں)
ڈاکٹر آر ایم ایل ہسپتال، نئی دہلی.
(زرد بخار کے کنٹرول کے لئے نیشنل نوڈل سینٹر اور دیگر مواصلات کی بیماریوں)
मौत का वायरस; पूरे देश पर खतरा, कैसे बचें?
केरल में निपाह वारयस से हुईं 11 मौतों के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत और आस्ट्रेलिया में को खतरे में बताया है। इसे मौत का वायरस कहा जा रहा है। इसका पीड़ित मरीज मात्र 48 घंटे में मर जाता है जबकि भारत में इतने वक्त में तो लोग डॉक्टर के पास भी नहीं जाते। चले जाएं तो जांच रिपोर्ट नहीं आती। विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस चमगादड़ और सुअर के माध्यम से फैल रहा है। इसके अलावा पीड़ित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने पर भी संक्रमण का खतरा बना हुआ है। यहां तक कि वायरस के कारण मरने वाले व्यक्ति के शव से भी संक्रमण फैल सकता है। इसका कोई इलाज नहीं है। संक्रमित मरीज कम से कम कोमा में चला जाता है और 48 घंटे में मौत हो सकती है। अत: सारे देश को सावधान रहने के लिए कहा गया है।
लोग गांव छोड़कर भाग रहे हैं, 2 गांव खाली
केरल के कोझिकोड जिले के चंगारोठ में वायरस संक्रमण से मौत के बाद कम से कम 30 परिवार घर छोड़कर चले गए हैं। दो गांव भी खाली हो चुका है। यहां करीब 150 लोग खुद गांव से बाहर चले गए हैं। स्वास्थ कर्मचारी वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए चमगादड़ों को पकड़कर मारने में जुटे हैं। लोगों से अपील की गई है कि वे कम से दो सप्ताह तक उन इलाकों में अपने रिश्तेदारों के पास नहीं जाएं जहां संक्रमण फैला है।
चमगादड़ से फैल रहा है मौत का वायरस
गांववालों ने बताया कि कुछ दिन पहले उन्होंने मरे हुए चमगादड़ देखे थे मगर इसपर ध्यान नहीं दिया था। फ्रूट बैट प्रजाति के चमगादड़ इस संक्रमण को तेजी फैलाते हैं। इसकी वजह यह है कि यह एक मात्र स्तनधारी है जो उड़ सकता है। पेड़ पर लगे फलों को खाकर संक्रमित कर देता है। जब पेड़ से गिरे इन संक्रमित फलों को इंसान खा लेता है तो वह बीमारी की चपेट में आ जाता है।
डॉक्टरों के पास कोई इलाज नहीं, 48 घंटे में मौत
फिलहाल निपाह वायरस से संक्रमण का कोई इलाज नहीं है। एक बार संक्रमण फैल जाने पर मरीज 24 से 48 घंटे तक में कोमा मैं जा सकता है और मौत तक संभव है। 1998 में मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाह गांव के लोग पहली बार इस संक्रमण से पीड़ित हुए थे। इसलिए इसका नाम निपाह वायरस पड़ा। संक्रमित होने वाले ग्रामीण सुअर पालते थे। मलेशिया में शोध कर रहे डॉ़ बिंग चुआ ने पहली बार 1998 में इस बीमारी का पता लगाया। बांग्लादेश में भी निपाह वायरस से संक्रमण के मामले सामने आए।
पूरे देश में खतरे का अलर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया में निपाह वायरस के फैलने का सबसे अधिक खतरा है। केरल में मामले सामने आने के बाद देश में खतरे की घंटी बज चुकी है। यह बीमारी लाइलाज है। संक्रमण के बाद बीमारी को बढ़ने से नहीं रोका गया तो 24 से 48 घंटे में मरीज कोमा में जा सकता है और उसकी मौत हो सकती है।
चमगादड़ और सुअर से फैलता है संक्रमण
फल और सब्जी खाने वाले चमगादड़ और सुअर के जरिये निपाह वायरस तेजी से फैलता है। इसका संक्रमण जानवरों और इंसानों में एक दूसरे के बीच तेजी से फैलता है।
निपाह वायरस के लक्षण
धुंधला दिखना
चक्कर आना
सिर में लगातार दर्द रहना
सांस में तकलीफ
तेज बुखार
निपाह वायरस से ऐसे बचें
पेड़ से गिरे हुए फल न खाएं।
जानवारों के खाए जाने के निशान हों तो ऐसी सब्जियां न खरीदें।
जहां चमगादड़ अधिक रहते हों वहां खजूर खाने से परहेज करें।
संक्रमित रोगी, जानवरों के पास न जाएं।
डॉ. अग्रवाल ने कहा, “सुनिश्चित करें कि आप जो खाना खा रहे हैं वह किसी चमगादड़ या उसके मल से दूषित नहीं हुआ हो। चमगादड़ के कुतरे हुए फल न खाए। पाम के पेड़ के पास खुले कंटेनर में बनी टोडी शराब पीने से बचें। बीमारी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति से संपर्क न करें। यदि मिलना ही पड़े तो बाद में साबुन से अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें।
डॉ. अग्रवाल ने बताया, “लक्षण शुरू होने के दो दिन बाद पीड़ित के कोमा में जाने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं इंसेफेलाइटिस के संक्रमण की भी संभावना रहती है, जो मस्तिष्क को प्रभावित करता है।”
शव से भी फैलता है संक्रमण, अंतिम संस्कार भी खतरनाक
डॉ. अग्रवाल ने कहा, “आमतौर पर शौचालय में इस्तेमाल होने वाली चीजें, जैसे बाल्टी और मग को खास तौर पर साफ रखें। निपाह बुखार से मरने वाले किसी भी व्यक्ति के मृत शरीर को ले जाते समय चेहरे को ढंकना महत्वपूर्ण है। मृत व्यक्ति को गले लगाने से बचें और उसके अंतिम संस्कार से पहले शरीर को स्नान करते समय सावधानी बरतें। उन्होंने कहा कि जब इंसानों में इसका संक्रमण होता है, तो इसमें एसिम्प्टोमैटिक इन्फेक्शन से लेकर तीव्र रेस्पिरेटरी सिंड्रोम और घातक एन्सेफलाइटिस तक का क्लिनिकल प्रजेंटेशन सामने आता है।
Siddhas advise to take proactive or after Nipah viral fever:-
Take 5 leaves of Pavazha malli LEAVES (in Tamil), Pavizha malli (in malayalam), Parijatha (in Kannada), har singar (in Hindi), tear into small pieces (leaves), boil in 200ml water till it reduced to 100ml in slim....and add 3 drops of lemon juice, 2 piece pepper (as powder)..... Drink for 3 times every day till fever reduced to facilitate Allopathy medicine..... This advise seems like Papaya leaf juice for Dengue.... Pls share to Kerala & TN people more.....
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