Tuesday, 26 January 2016

सर्दी, खांसी और जुखाम...

सर्दी, खांसी और जुखाम ये एक ही परिवार के रोग है और इनकी
औषोधी भी लगभग एक है.
* आपको आसान से नुस्खे यहाँ बता रहा हूँ जिसे आप घर पे बनाये
और एलोपेथी दवाओं के साइड इफेक्ट से भी बचे .
घर पे बनाये :

* ये एक अच्छी दवाई, खांसी जुकाम एलर्जी सर्दी आदि के लिए
जिसे आप घर पर बना सकते है इसके लिए आपको चाहिए तुलसी के
पत्ते, तना और बीज तीनो का कुल वजन 50 ग्राम इसके लिए आप
तुलसी के ऊपर से तोड ले इसमें बीज तना और तुलसी के पत्ते तीनो
आ जाएंगे इनको एक बरतन में डाल कर 500 मिलि पानी डाल ले और
इसमें 100 ग्राम अदरक और 20 ग्राम काली मिर्च दोनो को पीस
कर डाले और अच्छे से उबाल कर काढे और जब पानी 100 ग्राम रह
जाए तो इसे छान कर किसी कांच की बोतल में डाल कर रखे इसमे
थोडा सा शहद मिला कर आप इसके दो चम्मच ले सकते है दिन में 3
बार....
* अदरक के रस के साथ तुलसी का रस मिला लीजिये और हल्का
गरम करके सेहद या गुड़ मिलाके सुबह खली पेट, दोपहर और शाम को
एक चम्मच करके ले लीजिये !
* जुकाम के लिए 2 चम्मच अजवायन को तवे पर हल्का भूने और फ़िर
उसे एक रूमाल या कपडे में बांध ले और पोटली बना ले उस पोटली
को नाक से सूंघे और सो जाए.
* खांसी के लिए रोज दिन में 3 बार हल्के गर्म पानी में आधा
चम्मच सैंधा नमक डाल कर गरारे करे सुबह उठ कर दोपहर को और
फ़िर रात को सोने से पहले एक चम्मच शहद में थोडी सी पीसी हुई
काली मिर्च का पाऊडर डाल कर मिलाए और उसे चाटे अगर
खासी ज्यादा आ रही हो तो 2 साबुत काली मिर्च के दाने और
थोडी सी मिश्री मुंह में रख कर चूसे आपको आराम मिलेगा.
*गले की खराश, या गले मे किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन हो,
गला बैठ गया है, पानी पिने मे भी तकलीफ हो रही है, लार
निकलने मे भी तकलीफ हो रही है, आवाज भरी हो गयी है .. इन
सबके लिए एक ग्लास देशी गाय का दूध, एक चम्मच देशी गाय का
घी और चौथाई चम्मच हल्दी को मिलाके कुछ देर उबालना है फिर
उसको सिप सिप करके चाय की तरह पीना है शाम को एकबार .
प्रस्तुत है एक और खांसी की अचूक दवा:-
दालचीनी- थोड़ी मात्रा( लगभग एक ग्राम )
शहद- आधा चम्मच
प्रयोग विधि;--
========
* दालचीनी को पूरी तरह पीसकर पाउडर बना लें। बायीं हाथ की
हथेली पर करीब आधा चम्मच शहद लेकर उसके ऊपर दालचीनी (दो
चुटकी भर) डालें और दायें हाथ की अंगुली से अच्छी तरह मिलाएं
और उसे चाट जाएं।
परिणाम;

* दो से तीन मिनट में खांसी जाती रहेगी। दोबारा खांसी हो
तो इस प्रयोग को दोबारा आजमा सकते हैं।
* अगर दही खाते है तो उसे बंद करदे और रात को सोते समय दूध न
पिए, अगर पियो तो गाय का दूध पिए वह भी सिर्फ हल्दी मिला
कर।
* तुलसी, काली मिर्च और अदरक की चाय खांसी में सबसे बढि़या
रहती हैं, इसमें चीनी नहीं डालनी हैं, गुड डाला जा सकता हैं।
* हींग, त्रिफला, मुलहठी और मिश्री को नीबू के रस में मिलाकर
लेने से खांसी कम करने में मदद मिलती है।
* पीपली, काली मिर्च, सौंठ और मुलहठी का चूर्ण बनाकर
चौथाई चम्मच शहद के साथ लेना अच्छा रहता है।
खाँसी(बच्चों व बड़ों की)

- खाँसी दो प्रकार से उठती है - एक कफ वाली जिसमें बलगम
पड़ता है व दूसरी खुश्क (शुष्क) खाँसी जिसमें वेगपूर्ण खाँसी होती
है पर बलगम कम या न के बराबर पड़ता है। इस प्रकार की खाँसी
पित्तज कास के अन्तर्गत भी आ सकती है। कफज कास में गर्म
औषधियों का सेवन लाभप्रद होता है परन्तु पित्तज कास में गर्म
औषधियाँ नुकसानदेह हो जाती हैं। कुछ औषधियाँ हर प्रकार की
खाँसी में लाभप्रद है।

- जैसे - मुलहेठी,काले बाँसेकी राख (पुराने पंसारी व वैद्य
इस्तेमाल करते हैं)। कफ प्रकृति वालों को कफज कास का उपचार
करना होता है व पित्तज प्रकृति वालों को पित्तज कास का
उपचार लाभपद है। यदि व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार रोगों का
उपचार किया जाए तो यह बहुत लाभप्रद होता है।

- किसी भी प्रकार की खाँसी में दो तीन चम्मच मुलहठी का
चूर्ण अथवा मुलहठी कूट कर (15 ग्राम) जल (100 मि.ली.) में उबालें
जब पानी आधा रह जाए तो उसे उबालना बन्द करें। कुनकुना
(Lukewarm)मुलहटी का काढ़ा दिन में चार बार पीएं (एक बार में
50 मि.ली.)। एक बार पकाया क्वाथ छ: से आठ घण्टे तक ही
सहीरहता है.

- पित्तज कास के लिए : मुनक्का 10,पिप्ली (बड़ी पिप्पल) 10
एवं दो तोला कूजे वाली मिश्री मिलाकर इसका मिश्रण
मिलाकर इसका मिश्रण दिन में दो बार मधु के साथ
चाटनाचाहिए।(466,आयुर्वेद का प्राण: वनौषधि विज्ञान
पुस्तक से लिया है)

1. बच्चों में कुक्कर खाँसी (काली खाँसी अथवा हुपींग कफ
भी कहते हैं) के लिए एवं शुष्क कास के लिए - द्राक्षा
(मुनक्का),आँवला,खजूर,पिप्पली व काली मिर्च सबका समभाग
लेकरपीस लें। इस चटनी को सुबह शाम चाटें।

2. काले बाँसे की राख (1 से 3 ग्राम) सुबह शाम शहद के साथ
चाटें।पित्तज प्रकृति वालों को अडूसा (वासा) का रस बहुत
लाभप्रद होता है। अडूसा उत्तर भारत में सड़कों के किनारे-किनारे
बहुत उगता है व वसन्त ऋतु में सफेद रंग के फूल आते हैं।

- पित्तज कास में अडूसा के पत्तों का ताजा स्वरस (5-10
मि.ली.) तथा मुलहटी का चूर्ण (2-5 ग्राम) बहुत लाभप्रद होता है।

- कफज कास में कुनकुना (Lukewarm)अथवा गर्म पानी लिया
जा सकता है।
परन्तु पित्तज कास में पानी गर्म न पिएं मात्र पानी की
शीतलता निकाल दें अर्थात लें। पित्तज कास में भी सादा अथवा
ठंडा पानी न पिएं।

- अडूसा,घीक्वार (एलोवेरा), अमृता(गिलोय),तुलसी जैसी
औषधियाँ हर व्यक्ति को अपने घर में अवश्य उगानी चाहिए। इनको
उगाना बहुत सरल है व गुण बहुत हैं।

- खाँसी और दमे के रोग में धतुरा दूसरी सब औषधियों की
अपेक्षाउत्तम है। श्वास नलिका की श्लेष्मा त्वचा को शिथिल
करके यह दमे की पीडा को दूर करता है। इसलिए खाँसी की बहुत
दवाये इसके रस में घोटकर गोली के रूप में बनार्इ जाती है,फिर भी
इसका विशेष लाभ धुम्रपान करने से होता है। दमे का चाहे जैसाउग्र
वेग चढ़ा हुआ हो,वह भी इसके पत्ते की धुम्रपान से तत्काल शांत हो
जाता है। श्वास को दूर करने के लिए और उसके उपद्रवपूर्ण वेग को
कम करने के लिए धतूरे के समान औषधि शायदही कोर्इ दूसरी हो।

- इसमे पाए जाने वाले Hyoscyaminye & Hyoscineमे नींद लाने
व शूल को नष्ट करने के गुण उपस्थित है ऒर वयुशुल माय मुफीद व
आक्षेप निवारक होते है ।

- वनोषधि चन्द्रोदयकास में दूध में उबाला आँवले का चूर्ण घृत
मिलाकर सेवन कराना चाहिए।

- रक्तपित्त में आँवले के स्वरस में या चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन
करना चाहिए।

- पित्त में सूखे आँवले का चूर्ण,दुगने शर्करा तथा इससे भी दुगना
घी मिलाकर सेवन करे।
वायविडगं

- वायविडगं चूर्ण मधु के साथ गोली बनाकर मुख मे रखे (सेवन करें)
मात्रा- 3 से 5 ग्राम।

- कृमि नाश,ज्वर,अजीर्ण,श्वास तथाखाँसी में लाभकारी,चर्म
रोग,सामान्य दौर्बल्य में विडंग एक दिव्य औषधि है इसके सेवन से
पाचन क्रिया सुधरती है,

- शिशुओ को विडंग का चूर्ण दूध में मिलाकर,उबालकर
पिलाना लाभकारी है। सोते समय एक ग्राम मुलहठी चूर्ण को पान
के पत्ते में रखकर चूसा,चबाया जाए इससे प्रात: गला साफ होता ह

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