ABP का खुलासा:
Wednesday, 30 September 2015 06:15 PM
गोवा/मुंबई: प्रगतिशील विचारक गोविन्द पानसरे की हत्या को लेकर गोवा से चलने वाला संगठन सनातन संस्था फिर एक बार सुर्ख़ियों में हैं. सनातन संस्था भारत को एक कट्टर हिन्दूराष्ट्र में तब्दील करना चाहती है और इसके लिए वो मिलिट्री ट्रेनिंग से लेकर के सम्मोहन तक का इस्तेमाल करती है. कहने के तो ये संस्था अध्यात्म के लिए काम कर रही है लेकिन इसका असली मकसद क्या है ये बहुत ही परेशान करने वाला है.

एबीपी न्यूज़ के संवाददाता जीतेन्द्र दीक्षित ने जाना कि आखिर सनातन संस्था का असली मकसद क्या है.
गोवा की राजधानी पंजिम से करीब 80 किलोमीटर दूर ये है वाल्पई इलाके का जंगल. ये वही जंगल है जिसका जिक्र इन दिनों विवादों में चल रही सनातन संस्था के ट्रस्टी वीरेंद्र मराठे ने एक अंग्रेजी अखबार को दिये इंटरव्यू में किया है. मराठे के मुताबिक इसी जंगल में सनातन संस्था की ओर से कैंप लगाये गये थे, जिनमें संस्था के 15 सदस्यों को मिलिट्री ट्रेनिंग दी गई. 2 साल चली इस ट्रेनिंग में हथियार चलाना, रस्सी पर चलना , दुश्मन के हमले से बचना और जंगल में छुपना सिखाया गया था. मराठे के मुताबिक संस्था के पास लाईसेंसी हथियार नहीं थे, इसलिये स्थानीय लोग जिनके पास लाईसेंस थे उनके हथियार किराये पर लिये गये.
भारत में कोई संगठन अपने सदस्यों को मिलिट्री ट्रेनिंग दे रहा है, ये बात अपने आप में चौकाने वाली लगती है. मिलिट्री ट्रेनिंग आखिर किस फौज से लडने के लिये दी जा रही थी, दूसरा सवाल ये है कि जब किसी के पास लाईसेंसी हथियार नहीं है तो क्या वो कानून दूसरे का हथियार किराये पर ले सकता है. एक सवाल ये भी है कि जब इस जंगल में 2 साल तक ट्रेनिंग चल रही थी तो फिर वनविभाग या पुलिस की नजर इनपर क्यों नहीं पडी.
इस बारे में जब हमने सनातन संस्था से सवाल पूछा तो उनकी ओर से ये तो माना गया कि संस्था की ओर से आत्मरक्षा के लिये ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन मिलिट्री ट्रेनिंग देने की बात से उन्होंने इंकार कर दिया.
जंगल में मिलिट्री ट्रेनिंग की खबर छपने पर उठे विवाद के बाद भले ही अब सनातन संस्था इसका खंडन कर रही हो, लेकिन सनातन संस्था ऐसे विवादों में पहले भी फंस चुकी है, जिसमें उसपर हिंसा करने और हिंसा का समर्थन करने के आरोप लगे हैं. सनातन संस्था का नाम ऐसे विवादों से क्यों जुडता है ये जानने से पहले जान लेते हैं कि आखिर सनातन संस्था है क्या और वो हासिल क्या करना चाहती है.
गोवा में सनातन संसथा का मुख्यालय है जहां संस्था से जुडे लोग साधना करते हैं और यहीं से संस्था के विचारों का प्रचार प्रसार होता है. संस्था का मकसद भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना है. हिंदू धर्म का पालन कैसे होना चाहिये इसके लिये संस्था की अपनी सोच है और अपने नियम है. जो संस्था की सोच के खिलाफ सोचता है वो संस्था के निशाने पर होता है.
मिसाल के तौर पर गोवा में हर साल दीपावली के मौके पर मनाये जाने वाले नरकासुर उत्सव को ही लीजिये जिसका सनातन संस्था पुरजोर विरोध करती है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान कृष्ण ने नरकासुर नाम के राक्षस को मारा था और उसी मौके की याद में नरकासुर के पुतलों का जुलुस निकाला जाता है. गोवा के लोग इस पारंपरिक आयोजन में बढचढ कर हिस्सा लेते हैं.
भले ही गोवा के हिंदुओं के बीच ये त्यौहार लोकप्रिय हो, लेकिन सनातन संस्था को इसपर ऐतराज है. 2009 में मडगांव में जो बम धमाका हुआ था बताया जाता है कि उस धमाके का असली ठिकाना नरकासुर जुलूस मार्ग था. धमाके के मामले में सनातन संस्था से जुडे 6 लोग गिरफ्तार हुए थे, जिन्हें बाद में अदालत ने बरी कर दिया.
मुंबई के एक मराठी अखबार में काम करने वाले पत्रकार श्यामसुंदर सोन्नार से भी सनातन संस्था खफा है. सोन्नार का कसूर ये है कि वो हिंदू धर्म के कर्मकांडों के खिलाफ मुहीम चलाते हैं. सोन्नार अपने लेक्चरों में बताते है कि लोग अपनाकाम करते हुए भी भगवान की आराधना कर सकते हैं. इसके लिये कर्मकांड करने और तीर्थयात्रा पर जाने की जरूरत नहीं.
महाराष्ट्र के वरिष्ठ पत्रकार निखिल वागले भी सनातन संस्था के दुश्मनों में से एक हैं. महाराष्ट्र सरकार ने वागले को सुरक्षा की पेशकश की, लेकिन इन्होंने सुरक्षा लेने से इंकार कर दिया.
पंजिम के एक चौराहे पर प्रतिमा लगी है अबेद फारिया की. फरिया गोवा के मशहूर हिप्नॉटिस्ट थे और कहा जाता है कि भारत में सम्मोहनशास्त्र उन्होंने ही लाया. गोवा में फारिया का नाम सम्मान से इसलिये लिया जाता है क्योंकि वे सम्मोहनशास्त्र का इस्तेमाल अच्छे कामों के लिये करना चाहते थे, लेकिन उसी गोवा से चलने वाली एक संस्था पर आज सम्मोहनशास्त्र के दुरूपयोगा का आरोप लग रहा है.
सनातन संस्था पर आरोप ये है कि वो अपने सदस्यों को अपनी विचारधारा से जोडने के लिये या कहें उनका ब्रेन वॉश करने के लिये हिप्नॉटिजम या सम्मोहन का इस्तेमाल करती है. सम्मोहित शख्स संस्था के कहने पर कुछ भी करने को तैयार हो जाता है. बॉम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की गई है जिसमें ये कहते हुए सनातन संस्था पर पाबंदी लगाने की मांग हुई है कि वो अपने सदस्यों पर पर पाबंदी लगाने की मांग हुई है कि वो अपने सदस्यों पर Ericksonian Hypnosis का इस्तेमाल करती है.
खुद सनातक संस्था के संस्थापक डॉक्टर जयंत आठवले एक हिप्नॉथेरपिस्ट हैं. सनातन संस्था मानती है कि उसकी ओर से सम्मोहन का इस्तेमाल होता है, लेकिन इस बात से इंकार करती है कि सम्मोहन के जरिये हिंसा करवाई जाती है.
संस्था के मुताबिक उनके यहां सम्मोहन का इस्तेमाल आत्मशुद्धी के लिये किया जाता है.
भले ही सनातन संस्था ये कहे कि वो हिंसा में यकीन नहीं रखती, लेकिन बीते चंद सालों में कई ऐसी वारदातें हुईं हैं, जिनमें पकडे गये लोग सनातन संस्था से जुडे पाये गये. साल 2008 में सनातन संस्था से जुडे 6 सदस्य नवी मुंबई और ठाणे में हुए बमधमाकों के आरोप में पकडे गये जिनमें 2 को अदालत ने दोषी ठहराया. इसके बाद साल 2009 में भी गोवा के मडगांव में हुए बम धमाकों के सिलसिले में सनातन संस्था से जुडे 6 लोगों की गिरफ्तारी हुई पर मुकदमें के बाद अदालत ने उन्हें बरी कर दिया. बरी होने वाले अपने सदस्यों का सनातन संस्था ने सार्वजनिक सम्मान भी किया.
प्रगतिवादी विचारक गोविंद पानसरे की हत्या के मामले में अब फिर एक सनातन संस्था के सदस्य समीर गायकवाड को गिरफ्तार किया गया है और इसी सिलसिले में पुलिस ने संस्था के कुछ और सदस्यों को भी फरार बताया है. जब महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी की सरकार थी तब एक सनातन संस्था पर बैन की सिफारिश की गई थी, लेकिन केंद्र सरकार ने उसपर कोई फैसला नहीं लिया. अब फिर एक बार सनातन संस्था के खिलाफ मुहीम चला रहे गोवा के बीजेपी विधायक विष्णू वाघ ने बैन लगाये जाने की मांग की है, हालांकि गोवा के मुख्यमंत्री उनसे सहमत नहीं हैं.
सनातन संस्था के सदस्य बार बार हिंसक वारदातों में पकडे जाते हैं और संस्था हर बार उनसे अपना पल्ला झाड लेती है, लेकिन वो उनका बचाव भी करती है. ऐसे में संस्था के भीतर क्या कुछ चल रहा है इसकी पडताल जरूरी नजर आती है.
Courtesy: ABP News
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