झारखण्ड में
हजारीबाग-बरकाकाना रेल रूट पर
लोहरियाटांड़ गाँव के पास एक अजब नजारा देखने को मिल रहा है,
यहाँ रेल की पटरियां
सुबह 8 बजे अपने आप मुड़ती हुई,
आपस में चिपकने लगती हैं,
और 3 घंटे में पूरी तरह से मिल जाती हैं,
शाम 3 बजे के बाद पटरियां वापस अलग हो जाती हैं,
अभी इस रुट पर रेल यातायात चालू नही हो पाई है विशेषज्ञ इस गुत्थी को सुलझाने में अपना दिमाग खपा रहे हैं,
जबकि गाँव वाले पूजा अर्चना में लग गए हैं।
बताया जा रहा है,
कि पटरियों पर खिंचाव इतना ज़बरदस्त है,
कि लोहे के मज़बूत क्लिप तक उखड गयी हैं।
ये पटरी एक चट्टान के ऊपर से गुजर रही है,
वैज्ञानिक मान रहे हैं कि चट्टान में कही से कोई चुम्बकीय शक्ति काम कर रही है,
पर अभी तक कोई निष्कर्ष नही निकला।।
इन चित्रों में इस विचित्रता को आप भी देखिये
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