Friday, 17 April 2015

महिलाओ के अधिकार

दुनिया भर मे महिलाओ के अधिकारो का सबसे बड़ा ठीक्केदार अमेरिका मे एक भी महिला राष्ट्रपति नही चुनी गयी ये वही अमेरिका है जो औरतो को अपने मनोरंजन के लिये तो चुनता है और उसे प्रचारित भी करता है लेकिन कभी अपने सर्वोच्च नेता के रूप मे नही स्वीकारा तो वही मुस्लिम दुनिया जिसे औरतो के लिये एक क़ैद खाने के रूप मे प्रचारित किया जाता है वहाँ की कई महिला उस देश के सर्वोच्च पद पे आसीन रही जैसे की पाकिस्तान मे बेनज़ीर भुट्टो 1988 से 1990 और फिर 1993 से 1996 तक दो बार प्रधानमंत्री चुनी गयी तो वही इस समय बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शैख़ हसीना एक औरत है और दूसरी बार बांग्लादेश के सर्वोच्च पद के लिये चुनी गयी इससे पहले वो 1996 से 2001 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रही साथ मे उसी देश की एक और कद्दावर लीडर बेगम खालिदा ज़िया भी है जो दो बार 1991 से 1996 और फिर 2001 से 2006 तक बांग्लादेस की प्रधानमंत्री रही इसके अलावा दुनिया मे सबसे बड़ी आबादी वाला मुस्लिम देश यानी की इंडोनेशिया की 5वी राष्ट्रपति मेगावती सुकर्णोपुत्री 2001 मे चुनी गयी इसके पहले वो 1999 से 2001 तक इंडोनेशिया की उपराष्ट्रपति भी रह चुकी है तो वही तुर्की की बात करे तो वहाँ तान्सु सिलर 1993 से 1996 तक तुर्की की प्रधानमंत्री के साथ साथ 1996 से 1997 तक उपप्रधानमंत्री भी रही तो वहीं ममे मडिओर बोये 2001 से 2002 तक सेनेगाल की प्रधानमंत्री रही तो वही कोसोवार नामक देश जहाँ 95% से अधिक मुसलमान है वहाँ की राष्ट्रपति अतीफेटे जहजगा है जो इन 95% से अधिक मुस्लिम देश का दुनिया मे प्रतिनिधित्व करती है लेकिन सबसे हैरानी की बात तो ये हैं की किर्गिज़स्तान जो की एक मुस्लिम देश है वो अपना प्रतिनिधित्व एक ऐसी औरत के हाथो मे सौंपा है जो की नास्तिक है रोज़ा ओतुंबईवा 2010 से 2011 तक किर्गिज़स्तान राष्ट्रपति रही....अब आप फ़ैसला करे किसने औरतो उसका हक़ दिया.....???...मुस्लिम देशो ने जिसने अपने देश के सर्वोच्च पदो पे इन्हे बैठा कर दुनिया के सामने अपना प्रतिनिधित्व पेश किया या फिर वो अमेरिका जिसने औरतो को अपने देश के सर्वोच्च पद के कभी काबिल ही नही समझा
अलीम आज़मी

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