अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है:-
"यदि तुम बचते रहोगे उन बड़े बड़े पापों से जिनसे बचने का तुमको आदेश दिया गया है, तो हम तुम्हारे पापों को दया और करुणा के कारण माफ़ कर देंगे और तुमको इज़्ज़त का मक़ाम प्रदान करेंगे" !
-(सूर: अन निसा: 31)
"जो लोग बड़े बड़े पापों और फूहड़पन से बचते है किन्तु वह कार्य उनसे हो जाते है जो वास्तव में पाप तो नहीं लेकिन पाप करने का कारण बनकर पाप बन जाते है, निश्चित रूप से तेरा रब बड़ा माफ़ करने वाला है" !
- (सूर: नजम: 32)
कुछ गुनाह-ए-कबीरह-
1- अल्लाह के साथ शिर्क करना !
2- औलाद का क़त्ल करना !
3- किसी बेगुनाह को क़त्ल करना !
4- जादू !
5- नमाज़ छोड़ देना !
6- ज़कात अदा न करना !
7- माँ बाप का कहना ना मानना !
8- ज़िना करना !
9- अप्राकृतिक रूप से बाल मैथुन और समलैगिगता !
10- सूद और ब्याज खाना !
11- अनाथ का माल खाना !
12- अल्लाह और उसके रसूल के संबंध में झूठ गढ़ना !
13- शराब पीना !
14- जुआ खेलना !
15- घमंड/अहंकार करना !
16- झूठी गवाही देना !
17- चरित्रवान महिला पर चरित्रहीनता का इलज़ाम लगाना !
18- चोरी करना !
19- डकैती डालना !
20- झूठी और गैरुल्लाह की कसम खाना !
21- आत्महत्या और क़त्ल !
22- अन्याय और अत्याचार करना !
23- सामान्य बोल चाल में झूठ बोलना!
24- अल्लाह के नाज़िल किये कानून के विरुद्ध निर्णय करना !
25- औरतों का मर्दों की और मर्दों का औरतों की नक़ल उतारना !
26- मर्द का अपनी पत्नी की बेहयाई पर जानबूझकर नज़र बचाना !
27- पेशाब के छीटों से न बचना !
28- अमानत में ख़यानत करना !
29- इल्म -ए-दीन छिपाना, हक़ बात न कहना, दुनिया कमाने को इल्म-ए-दीन हासिल करना !
30- एहसान जतलाना !
31- जिस चीज़ को लोग छुपाना चाहे उसकी टोह में रहना !
32- चुगलख़ोरी !
33- लानत करना !
34- ज्योतिषी की बात को सत्य बताना या मानना !
35- औरत का अपने पति की आज्ञा न मानना !
36- पडोसी को तकलीफ़ देना !
37- शासक का अपनी प्रजा की भलाई का ध्यान न रखना !
38- सोने चाँदी के बर्तन में खाना !
39- अकारण झगड़ा करना और गलत बात का समर्थन करना !
40- अल्लाह की पकड़ से न डरना !
41- किसी मुसलमान को काफ़िर कहना !
42- जुमा और जमाअत का छोड़ना !
43- मक्कारी और धोकाधडी करना !
44- अल्लाह के रसूल के किसी सहाबी को गाली देना !
45- वंश और ज़ात का ताना देना और मृतक पर रोना चिल्लाना !
46- नकली बाल लगाना, भवें तराशना, दाँत के मध्य दूरी बढ़वाना और गोदना करवाना (Tattoo).
47- बिना शरई कारण रोज़ा तोड़ना और क्षमता होते भी हज न करना !
48- नाप तौल में कमी करना !
کیا خوب کہا ہے......
بکهرے تو زمانے کی ٹهوکر میں آگئے
اور متحد هوے تو زمانے پہ چھاگئے
تعداد یوں تو تین سو تیرہ کی تھی مگر
جب حملہ زن هو ئے تو هزاروں پہ چھاگئے
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