मुद्दा नम्बर 1
एक सिलेंडर की कीमत 783 रुपये, इंडियन आयल से बैंक में वापस जमा - 361 रूपये,
यानी, 783 - 361= 422 रूपये।
इसके पहले हमें सिलेंडर मिलता था 418 रूपये में,
मतलब कुल 4 रूपये का नुकसान।
अब पता ये लगाना है की मेरे द्वारा जमा पैसा ही मुझे वापस मिला। तो फिर सब्सिडी का पैसा कहा गया, बल्कि पहले से ज्यादा पैसे मुझे देने पड़े।
ये कौन सा गणित है? पूरा देश सोच रहा है की उसे सब्सिडी का पैसा मिल रहा है, पर जनाब ये तो हमारा पैसा ही हमें मिल रहा है।
मुद्दा नम्बर 2
देश में पेट्रोल की कीमत कैसे तय होती है, उसकी पूरी प्रोसेस-
कच्चे तेल की वर्तमान कीमत = 50 डॉलर प्रति बेरेल।
(जहाँ, $1 = 63/-
और 1 बेरेल = 159 लीटर )
यानी, $50 = Rs.3150/-
1 लिटर कच्चा तेल भारत खरीदता है (3150/159) =19.80 रुपयों में।
1 लिटर पेट्रोल बनाने के लिए लगने वाला कच्चा तेल -
0.96 लीटर @19.80/- = 19.00/-
अब कच्चे तेल में से एक लीटर पेट्रोल बनाने की फिक्स्ड कीमत होती है 6 रूपये (ट्रांसपोर्टेशन मिलाकर)
यानी, 19.00 रूपये + फिक्स्ड कीमत, 6 रूपये = 25.00 रूपये में एक लिटर पेट्रोल बनता है।
अब उसमे केंद्र सरकार के टेक्स लगता है, 25% यानी 6 रूपये।
यानी 25 + 6 = 31 रूपये।
और उपर से फिर राज्य सरकार के टेक्स जैसे VAT,
जिसे हम एवरेज 15% गिने तो होते है 5 रूपये यानी कुल मिलाकर होते है 36 रूपये।
और आखिर में पेट्रोल पंप डीलरो को पर लीटर 90 पैसे कमिशन दिया जाता है तो होते है कुल 37 रूपये।
लेकिन फिर भी आज हमे 62/- प्रति लीटर में पेट्रोल मिल रहा है॥
कृपया कड़ी मेहनत से प्राप्त हुई ये जानकारी देश के हर एक नागरिक तक पहुँचाने की कोशिश करे ।
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