Saturday 26 September 2015

हज यात्रा के दौरान हुआ हादसा इसराईल की साज़िश तो नहीं ?

मक्का के बाहर मीना क्षेत्र में हज यात्रा के बीच शैतानी प्रवृत्ती के प्रतिक एक चट्टान को कंकड़ी मारने के दौरान बड़ी भगदड मच गई। इस हादसे में 727 लोग शहिद हो गये है, जबकि हजारो हाजी जख्मी हो गए हैं। 15 दिन के भीतर हज के दौरान ये दूसरा बड़ा हादसा है। हज की अदायगी का ये महत्त्वपूर्ण दिन था और इसी दिन ही मक्का में ईद का दिन होता है। हाजी उसीे दिन मीना, मुज़दलफा और मैदान-ए-अराफात से वापसी के बाद जमेरात में शैतान को पत्थर मारने का फरीजा अदा करते हैं।
इस साल 30 लाख से ज्यादा लोग हज करने गए थे। सऊदी वक्त के मुताबिक दिन के तकरीबन 12 बजे तक जमेरात पर कंकडी मारने का वक़्त होता है इसलिए लोग काफी जल्दबाज़ी में होते हैं। हालांकि, शैतान को जहां सांकेतिक कंकड़ी मारी जाती है उस जगह पहुंचने के लिए काफी चौड़े रास्ते के अलावा चार मंजिला फ्वाइओवर भी बनाए गए हैं, इसलीये लाखों की भीड़ और हाजियों की जल्दबाज़ी के बावजूद अब इस प्रकार का हादसा होने की आशंका नही के बराबर है। हादसे की जगह आपात स्थिति से निपटने वाले 4000 जवान तैनात हैं, जबकि 220 एंबुलेंस भी मौके पर हैं।फीर ये हादसा क्यों हुवा, इस की पुरी जांच होना जरूरी है। एक हाजी के मुताबिक मक्का में जिस रास्ते से पत्थर मारने के लिए जाने का इंतजाम है उससे लौटने की मनाही होती है, लेकिन कुछ लोग उसी रास्ते से वापस आ रहे थे। जिससे ये हादसा हुआ है। हालांकि, सऊदी सरकार की ओर से ये नहीं बताया गया है कि हादसा कैसे हुआ। शैतान को पत्थर मारने के दौरान हादसे का ये कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले 2006 में इस तरह के हुए हादसे में 346 लोग मारे गए थे। 2004 में 251, 1998 में 118 और 1994 में 270 लोग मारे गए थे।आपको बता दें कि इस साल हज के लिए 1लाख 30 हजार भारतीय हज पर गए हैं। हालांकि, अभी पता नहीं चला है कि इस हादसे में किसी भारतीय की मौत हुई है या नहीं।
इससे पहले 11 सितंबर को जुमे की शाम मस्जिद-ए-हरम में हुए क्रेन हादसे में 107 लोग शहिद हुये थे। ये हादसा इसलिए हुआ क्योंकि मस्जिद के विस्तार का काम चल रहा है और भारी बारिश के कारण एक बड़ी सी क्रेन मस्जिद की दीवारें तोड़ती हुई जमीन पर आ गिरी जिससे 100 से ज्यादा लोग मारे गए। मस्जिद के जिस हिस्से में ये हादसा हुआ था वहां करीब एक हज़ार लोग मौजूद थे।
जानकारी के मुताबिक हज की अदायगी पांच दिनों में अदा की जाती है। पहले दिन हाजी मक्का से मीना के लिए रवाना होते हैं। मीना में रात गुजारने के बाद दूसरे दिन सुबह हाजी मीना से मैदान-ए-अराफात के लिए रवाना होते हैं। मैदान-ए-अराफात पहुंचना हज का सबसे जरूरी रुकन (रस्म) होता है। अराफात से मुजदलफा मैदान जाते है। तीसरे दिन ईद होती है और इस दिन लोग कुर्बानी के बाद सांकेतिक रूप से शैतान को पत्थर मारने के लिए हाजी मीना में बने जमेरात में जाते हैं। इस दौरान हादसे की आशंका होती है। लेकीन अब आधुनिक तकनिक के द्वारा भीड नियंत्रित की जाती है, जीसमें सैटेलाइट का इस्तेमाल होता है। भीड के जाने और आने के रास्ते अलग है। कोई किसी भी कारणवश अगर उसी रास्ते से वापीस जाना भी चाहे तो वहा तैनात सेक्युरीटी गार्ड उन्हे रोक देते है और दुसरे रास्ते से जाने के लिये कहेते है। इतने इंतेजाम के चलते ये हादसा होना जरूर कोई सोती समझी साजीश की नतीजा होने की संभावना उत्पन्न करता है।
गुजीश्ता दिनों यरूशलम की अक्सा मस्जिद में यहुुदीयों की उनकी उपासना करने का विरोध प्रदर्शन कर रहे मुस्लिम महिलायों सहीत कई प्रदर्शन कर रहे फलस्तीनीयों पर हुये इस्राइली हिंसा पके सऊदी राजा सलमान ने कडे शब्दों में आपत्ती दर्ज की थी। शाह फैसल के एक अपवाद को छोड दिया दिया जाये तो अब तक के सऊदी शासकों का अमरीका और उसके इस्राईल जैसे सहयोगी देशों के प्रति नर्म रवैयाही रहा है। लेकीन कुछ माह।पूर्व पद पर आसीन हुवे नये शाह सलमान के कुछ निर्णय और बयान चौंकानेवाले है। मिस्र के इख्वान उल मुस्लिमीन और वहां की हुकूमत के बिच वार्ता में मध्यस्थी करने की तैयारी भी शाह ने जताई थी। इस कारण पश्चिमी देशों के विरोध में निती अपनाते देखाई दे रही सऊदी हुकूमत को चेतावनी देने के उद्देश्य से एक प्रकार का ये क्राऊड बाँब फोडे जाने जाने की साजीश की आशंका है।
सोशल मीडिया पर हो रही चर्चा के मुताबिक कुछ नकाबपोश लोगो द्वारा ये हादसा हुवा। हालांकी हज के दौरान महिला एवं पुरूषों को एक विशिष्ट प्रकारका वस्त्र पोषाख वस्त्र पहेनना होता है जीसे अहेराम कहेते है, जिसमें चेहरे को ढांका नही जाता। फिर वहां पर नकाबपोश क्या कर रहे थे? इस प्रकार के प्रश्न उठ रहे है, इसकी बडे पैमाने पर जांच होनी चाहिये।
- नौशाद उस्मान, मुंबई
-लेखक मराठी अख़बार शोधन के सह संपादक हैं
http://citizenalert.in/Full_News.aspx?News_id=180

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