बन्दर कराएंगे घर वापसी!!!
आज सुबह कड़ाके की ठंड थी।मैं बिस्तर से उठा ही था कि
घर के बाहर 'भयंकर' शोर शराबा सुनकर न चाहते हुए भी टोपा और ब्लेजर पहनकर बाहर निकलना पड़ा।
निकलते
ही सैकड़ों बंदरों की तीन चार टोलियाँ देखकर डर और ठण्ड से मेरे रोंगटे खड़े हो गये,
यूँ तो मैं बंदरों से डरता नही हूँ लेकिन सैकड़ों बंदरों को दरवाजे में देखकर डरना स्वभाविक ही था।
थोड़ी हिम्मत जुटाकर मैं बंदरों के पास पहुंचा
और उनके आगमन
का कारण पूँछा।
निकलते
ही सैकड़ों बंदरों की तीन चार टोलियाँ देखकर डर और ठण्ड से मेरे रोंगटे खड़े हो गये,
यूँ तो मैं बंदरों से डरता नही हूँ लेकिन सैकड़ों बंदरों को दरवाजे में देखकर डरना स्वभाविक ही था।
थोड़ी हिम्मत जुटाकर मैं बंदरों के पास पहुंचा
और उनके आगमन
का कारण पूँछा।
बंदरों की टोली से एक बंदर मेरे सामने आया और बोला
"हम आपकी 'घर-वापसी"
के लिए आए हैं। मैंने कहा "कैसी घर वापसी"?
तब बंदरों के बीच से किसी बुजुर्ग से बंदर ने कहा
तुम ये तो जानते ही होगे कि सभी इन्सान पहले बन्दर थे,
और सब साथ रहते थे, लेकिन हजारों वर्ष पूर्व एक बंदर ने खुद को इन्सान घोषित किया
और सैकड़ों बंदरों को डर और लालच से इन्सान में बदल लिया, और जंगल से दूर बस्तियों में रहने लगा,
तुम भी उन्ही की संतान हो,
तब तो हम कमजोर थे
हमारे पास 'सत्ता' नही थी।
"हम आपकी 'घर-वापसी"
के लिए आए हैं। मैंने कहा "कैसी घर वापसी"?
तब बंदरों के बीच से किसी बुजुर्ग से बंदर ने कहा
तुम ये तो जानते ही होगे कि सभी इन्सान पहले बन्दर थे,
और सब साथ रहते थे, लेकिन हजारों वर्ष पूर्व एक बंदर ने खुद को इन्सान घोषित किया
और सैकड़ों बंदरों को डर और लालच से इन्सान में बदल लिया, और जंगल से दूर बस्तियों में रहने लगा,
तुम भी उन्ही की संतान हो,
तब तो हम कमजोर थे
हमारे पास 'सत्ता' नही थी।
इसलिए हम उन्हें रोक न सके पर अब हम सत्ता में हैं
और अब आपको वापस बन्दर बनाएँगे।
और अब आपको वापस बन्दर बनाएँगे।
जिससे हमारे समाज में
पुनः शांति स्थापित हो सके,
और इस शांति के लिए हम
कितनी भी
'अशांति'
फैला सकते हैं।
तभी उन बंदरों का सरदार बंदर बोला,
और इसमें कोई जबरदस्ती नही होगी!!!
पुनः शांति स्थापित हो सके,
और इस शांति के लिए हम
कितनी भी
'अशांति'
फैला सकते हैं।
तभी उन बंदरों का सरदार बंदर बोला,
और इसमें कोई जबरदस्ती नही होगी!!!
No comments:
Post a Comment