क्या कहा आबादी बढ़ गई, वह भी 24 प्रतिशत ? मीडिया, कैमरा, सबकुछ ही तो मुसलमानों पर केंद्रित हो गया । कयामत आ गई क्या, सवाल तो यह उठना चाहिये था कि आजादी के वक्त सरकारी नौकरियों में मुसलमान 35 प्रतिशत थे जो अब सिर्फ 1.5 प्रतिशत रह गये है, क्यों जी सरकार जी यह ऐसा क्यों हो गया, 35 प्रतिशत आबादी घटकर डेढ़ प्रतिशत क्यों रह गई ? कौन जिम्मेदार हैं इसके लिये ? क्या मुसलमान या फिर इस देश के तथाकथित सैक्यूलर ? चर्चा कीजिये, चर्चा क्यों नहीं कर रहे हो इस पर, वैसे मुसलमानों को चर्चा के अलावा मिला ही क्या है ? पिछड़ेपन पर चर्चा, समिती के नाम पर खर्चा और मुसलमानों के नाम पर ..,., यह क्या पूछ लिया साब देश के संसाधनों पर पहला हक तो मुसलमानों का ही है। बिल्कुल सही साब आतंकवादी घटना के बाद जेल जाने का हक तो मुसलमानों का ही है, दंगा हो जाने के बाद मर जाने का हक तो मुसलमानों का ही है, भारत का पाकिस्तान से मैच हार जाने या जीत जाने के बाद पाकिस्तान जाने का न्योंता सबसे पहले तो मुसमलानों को ही मिलता है। मगर साब स्कूल कब भेजोगे ? जेल जाकर छक लिये हैं हम लोग अब स्कूल अच्छा लगता है वहां भी जाने दीजिये ? पढ़ने दीजिये, अब तो इस दहश्त से निकाल दीजिये कि इंजीनियरिंग मैडिकल साईंस के स्टूडेंटस को फर्जी तरीके से फंसाकर उनको जेल में नहीं ठूंसा जायेगा। आबादी आबादी चिल्लाते रहने से कौनू फायदा होने वाला नहीं है, अगर यब पता चल गया कि आबादी किस वर्ग की बढ़ी है तो आपकी नींदें हराम हो जायेंगीं, क्योंकि आबादी मजदूर वर्ग की बढ़ी है, बाबू वर्ग तो घटा है साब....... मजदूर वर्ग के बच्चे थाने में सिपाही तो बन जायेंगे मगर कलट्टर थोड़े ही न बन जायेंगे और बना भी तो एक या दो,
@Wasim Akram Tyagi की कलम से
Saturday, 24 January 2015
Muslim Population Issue
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