जिन्हें भरम है ओपन माइंडेड होना उन्हें चूभेगी ये पोस्ट........? में चाहता भी यही हूं
क्या वजह है एक ही घटना पर दोहरे रवय्ये की ????
नक्सल लोगों को मारते हैं तो सारे हिन्दुओं को टारगेट नहीं बनाया जाता।
कथित सिख आतंकवाद ने लोगों को मारा, तो सारे सिख भाईयों को टारगेट नहीं किया जाता है।
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रणवीर सेना ने बच्चों को तलवारों पर टांग दिया तो ठाकुर और पंडितों को टारगेट नहीं किया जाता।
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तमिलों ने मेरे प्रधानमंत्री को मार दिया तो सारे दक्षिण भारतीयों से कोई नफ़रत नहीं।
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बोडो असम में रोज़ खूंरेज़ी करते हैं, लेकिन सारे :
नार्थ-ईस्ट वालों पर कोई गुस्सा नहीं।
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दिल्ली में 84 का कत्ले आम होता है तो सिख भाई पूरी हिन्दू कौम से दुश्मनी तो नहीं मानते ।
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गुजरात नरसंहार होता है तो जिम्मेदारी सारे गुजरातियों की तो नहीं होती ।
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बाबा और साधु रोज जेल जाते हैं,देंह का धंधा करते हैं , बलात्कार करते हैं, लेकिन अपने मोहल्ले के पुजारी की उतनी ही इज्ज़त की जाती है।....और ना ही इनमें से किसी की धार्मिक पहचान पर सवाल उठते हैं ।
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लेकिन....? ...ऑस्ट्रेलिया के एक मॉल में घुसकर एक ईरानी अपराधी दो लोगों को गोली मार देता है।
आपको गुस्सा हम सारे मुसलमानों पर आता है। गोधरा होता है तो जिम्मेदारी सारे मुसलमानों पर आती है।
पेशावर में बच्चे मरते हैं तो गुस्सा सारे मुसलमानों पर।
पेरिस में कार्टूनिस्ट मारे गए तो गुस्सा सारे मुसलमानों पर।
और तो और मुसलमान से भी आगे बढ़कर सीधा इस्लाम को टारगेट क्यूँ किया जा रहा है क्यूँ ??
तुम लोग करवाओ अपने दिमाग का इलाज़ ! खोट कहीं तुम्हारे दिमागों में है।
दुनिया में किसी भी आतंकवादी का समर्थन नहीं किया जा सकता है जरुरत है ऐसे लोगो को ख़त्म कर दिया जाये चाहे वो किसी भी जाति धर्म संप्रदाय या देश से आते हों !!!
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