Sunday 30 August 2015

औरंगज़ेब{रह.}; कब और क्यू हिंदू विरोधी लिखा...?


औरंगज़ेब{रह.} को सबसे पहले किसने, कब और क्यू हिंदू विरोधी लिखा?
इस समय फेसबूक पर औरंगज़ेब{रह.} के मुतअल्लिक हर तरफ चर्चा हो रही है जहाँ संघी उन्हे हिंदू विरोधी बनाने पे तुले है तो वही मुसलमान उनका रद्द कर रहे है और दोनो पक्ष अपनी बातो के लिये इतिहास के पन्नो से दलील भी निकाल कर ला रहा है लेकिन किसी ने इस बात पे तवज्जो नही दी की आख़िर कब से और किसने सबसे पहले औरंगज़ेब{रह.} को हिंदू विरोधी बनाने की कोशिश की और उसका क्या कारण था
वैसे तो मेरे क़ाबिल-ए-कद्र भाइयो ने औरंगज़ेब{रह.} पे लगाये गये सभी आरोपो का खूबसूरती के साथ जवाब दिया है इसलिये मैं उन आरोपो पे न जाते हुये आपके सामने ये तथ्य रखने की कोशिश कर रहा हू की औरंगज़ेब{रह.} को सबसे पहले किसने, कब और क्यू हिंदू विरोधी लिखा उसके लिखने का पसमंज़र क्या था...???
औरंगज़ेब{रह.} ने "31 जुलाइ 1658 से लेकर 3 मार्च 1707 तक" भारत पे शासन किया उनके शासक बनने से दो वर्ष पूर्व यानी की "1656 मे फ्रांस का फ्रांस्वा बर्नियर" नामी शख्स भारत आया जो की एक डाक्टर,पॉलिटिकल फिलास्फर तथा एक इतिहासकार था
शाह जहाँ की गद्दी पे बैठने से पहले औरंगज़ेब{रह.} का अपने भाई दाराशिकोह से युद्ध करना पड़ा और उस युद्ध मे उन्होने दाराशिकोह को बुरी तरह से हराया और शाह जहाँ के बाद मुगल शासक बने वैसे ये एक लंबी दास्तान है इस्पे मैं फिर कभी चर्चा करूँगा
अब आते है पोस्ट के लिखने के मक़सद की तरफ की सबसे पहले किसने,कब और क्यू औरंगज़ेब{रह.} को हिंदू विरोधी लिखा
जब फ्रांस्वा बर्नियर भारत आया तो उसने मुगल दरबार मे अपने कई दोस्त बनाये जिनमे "दाराशिकोह उसका सबसे घनिष्ट मित्र बना और दाराशिकोह का सबसे बड़ा दुश्मन था औरंगज़ेब आलमगीर" एक बात और याद रहे की फ्रांस्वा बर्नियर न सिर्फ़ दाराशिकोह का दोस्त बना बल्कि उसका पर्सनल डाक्टर भी बन गया
"Bernier's Travels in the Mogul Empire नाम से 1670 मे एक किताब लिखी" और इस किताब मे उसने औरंगज़ेब{रह.} के खिलाफ झूट का पुलिंदा गढ़ डाला सबसे पहले प्रश्न का उत्तर की किसने "औरंगज़ेब{रह.} के खिलाफ सबसे पहले पहले लिखा तो वो फ्रांस्वा बर्नियर था" और दूसरा प्रश्न की कब लिखा तो 1670 मे वैसे उसने इसके अलावा भी दो बुक लिखी लेकिन सबसे पहले उसने इसी बुक मे लिखा था और अब तीसरा प्रश्न की उसने ऐसा क्यू लिखा तो उसके दो कारण थे पहले का उत्तर मैं पहले ही दे चुका हू की वो दाराशिकोह दोस्त था और दूसरा कारण जो महत्वपूर्ण था और इसी कारण ही पहला कारण भी था यानी की इसी कारण वो दाराशिकोह का दोस्त बना था
तीसरा और सबसे मत्वपूर्ण कारण जो फ्रांस्वा बर्नियर को औरंगज़ेब{रह.} के खिलाफ लिखने पे मजबूर किया वो ये था की उसका मानना था की "दाराशिकोह ईसाइयत से प्रभावित है" और वो अपनी बुक मे पाठको को ये धारणा{Notion} देता है की वो उसे ईसाई ही समझे और "वो दाराशिकोह के ईसाइयत की तरफ झुकाव के लिये रेवरेंड बुज़ी को करार देता है क्यूंकी रेवरेंड बुज़ी ने दाराशिकोह को न सिर्फ़ शिक्षा दी थी बल्कि उसे ईसाई तोपची{Christian Artilleryman} भी मोहय्या कराये जिससे उसका तोपख़ाना तय्यार हुआ"
"आर्चिबॉल्ड कॉन्स्टेबल" और "फारेंसिक काट्रौ" ने "भारत मे मुगल खानदान की तारीख" नाम से बुक लिखी जो 1826 मे लंदन से पब्लीश हुई उसमे ये कहते है की "अगर रेवरेंड बुज़ी के मशवरो पे अमल किया जाता तो पूरी उम्मीद थी की ईसाइयत दिल्ली के तख्त पे बिराजमान हो जाती"
इससे आप अंदाज़ा लगा सकते है की उन्हे दाराशिकोह के ईसाई होने पे कितना यकीन था और उसके ज़रिये भारत के गद्दी पे बैठने का जो सपना था उसे तोड़ा औरंगज़ेब ने दारा शिकोह को 1658 मे आगरा मे शिकस्त दे कर जिसके बाद जो उन्हे भारत मे ईसाइयत की हुक्मरानी के सपने थे वो सपने ही रह गये और यही मुख्य कारण था औरंगज़ेब{रह.} के विरुद्ध लिखने का ताकि उन्हे एक विवादित व्यक्ति बना कर अपनी शाजिस की नाकामी का बदला लिया जा सके ताकि लोग उनके विवादित व्यक्तित्त्व के चक्कर मे उस नाकाम शाजिस को भूल जाये जो उन्होने दारा शिकोह के रूप मे दिल्ली पे ईसाई हुक्मरानी के रूप मे गढ़ी थी

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