Monday 31 August 2015

एक मुसलमान वैज्ञानिक ने किया था कैमरे का अविष्कार

कैमरे का अविष्कार 1000
वर्ष पूर्व एक मुसलमान
वैज्ञानिक ने किया था?
यह बात बहुत ही कम लोगों को मालूम होगी कि
प्रतिदिन करोड़ों लोगों की ज़बान पर आने वाला
कैमरा शब्द अरबी के अल-क़ुमरा (छोटी अंधेरी
कोठरी) से बना है।
दस शताब्दियों पहले जन्म लेने वाले एक मुसलमान
विद्वान ने इसका अविष्कार किया था उन्ही की
खोज के आधार पर बाद में वर्तमान रूप में कैमरा बना।
उन्होंने एक अँधेरे कमरे में एक छेद किया हुआ था
ताकि उससे प्रकाश अंदर आए और वह प्रकाश एवं आँख
के बारे में शोध कर सकें।
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक
संगठन यूनेस्को ने पेरिस में 19 जनवरी से शुरू हुए प्रकाश
एवं दृश्य तकनीक के वर्ष के उद्घाटन समारोह में इस
मुस्लिम विद्धवान को याद किया और उनके शोध
कार्यों की सराहना की।इस महान विद्वान एवं
वैज्ञानिक का नाम इब्ने हैसम है कि जिनका चित्र
इराक़ के केन्द्रीय बैंक ने नोट पर छपवाया है और
उनका नाम एक छोटे उपग्रह पर अंकित किया गया है
जिसकी खोज स्वीज़रलैंड के खगोलशास्त्री
स्टीफ़ानो स्पोज़ेटी ने 16 वर्ष पूर्व की थी।
वैज्ञानिकों ने इब्ने हैसम की सराहना के उद्देश्य से
इस उपग्रह का नाम अलहाज़ेन रखा है।अबू अली इब्ने
हैसम का जन्म सन् 965 में इराक़ के शहर बसरा में हुआ
था।वे दृश्य विज्ञान में बहुत दक्षता रखते थे और
उन्होंने एक अंधेरे कमरे में कैमरा के अविष्कार का
ताना-बाना बुन लिया था।
इतिहास में है कि इब्ने हैसम कभी भी अपना समय
बर्बाद नहीं करते थे और बहुत अधिक अध्ययन करते थे।
उन्होंने इराक़ की राजधानी में चिकित्सा
विज्ञान की तालीम प्राप्त की और एक दक्ष
चिकित्सक के रूप में सेवा शुरू की और आँख के एक
महान चिकित्सक बन गए।
तत्कालीन फ़ातेमी ख़लीफ़ा क़ायम बे अमरुल्लाह ने
जब उनकी प्रतिभा को पहचाना तो इब्ने हैसम से
अनुरोध किया कि नील नदी के पानी की कुछ इस
प्रकार व्यवस्था करें कि उससे कृषि में अधिक से
अधिक लाभ उठाया जा सके।
इब्ने हैसम ने अपनी 75 वर्षीय आयु में 237 किताबें
लिखीं। उनके विचारों एवं दृष्टिकोणों को आज भी
शोध कार्यों में उपयोगी माना जाता है।इब्ने हैसम
वह पहले वैज्ञानिक एवं चिकित्सक थे कि जिन्होंने
पहली बार दुनिया में आँख का ऑपरेशन किया और
उसके विभिन्न अंगों का उल्लेख किया।उन्होंने
साबित किया था कि प्रकाश ठोस पदार्थ पर पड़ने
के बाद आँख तक पहुंचता है और उसके परिणाम स्वरूप
आँख उस चीज़ को देख सकती है। इसी दृष्टिकोण के
आधार पर उन्होंने कैमरे के अविष्कार के लिए भूमि
प्रशस्त की।

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