Sunday, 25 January 2015

हिज नेम इज लियाकत

हिज नेम इज लियाकत, लेकिन वह आतंकी नहीं
और अब लियाकत अली शाह भी बरी हो गया, साल 2013 में जिसे दिल्ली पुलिस ने नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया, फिर दिल्ली के हाजरी अराफात गैस्ट हाऊस से आर. डी. एक्स और एक 47 बरामद कराई गई थी, वह त्यौहार का मौसम था होली की तैयारी की चल रहीं थी, पुलिस ने कहानी सुनाई थी कि लियाकत अली शाह दिल्ली को दहलाना चाहता था। मीडिया चैनलों, और अखबारों ने तो इसे पुलिस की बड़ी कामयाबी बताया था और लियाकत अली शाह को एक कुख्यात आतंकवादी। हालांकि महीने भर बादी ही वह जेल से बाहर आ गया था क्योंकि कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने भी सवाल किया था कि एक आतंकवादी क्या अपने बीवी बच्चों के साथ जाकर कहीं विस्फोट करता है ? लेकिन उस मामले को एनआईऐ को सौंप दिया था, एन आईए की रिपोर्ट में लियाकत अली शाहर बेकसूर है, और उसका किसी आतंकी घटना से कोई संबंध नहीं है और न ही उस एक 47 से जिसे कथित तौर पर पुलिस ने उससे बरामद करके बड़ी ‘कामयाबी’ पाई थी। मगर अब कई सवाल हैं जो उस वक्त भी उठे थे जब लियाकत अली शाह को जमानत मिली थी। लियाकत अली शाह को जिस गैस्ट हाऊस से गिरफ्तार किया गया था वह मुस्लिम बहुल इलाके में आता है पुलिस की इसके पीछे क्या मंशा रही होगी ? यही कि मुस्लिम इलाकों में आंतकी छिपे रहते हैं ? उस दौरान की जो सीसीटीवी फुटेज थे उसमें एक पुलिस वाला साफ तौर पर दिख रहा था जिसने गैस्ट हाऊस में आर. डी एक्स और एक 47 रखी थी वह पुलिसिया कौन था ? पुलिस के पास इतनी मात्रा में आरडीएक्स कहां से आया ? और फिर वह एक 47 किसकी थी जिसे लियाकत अली शाह से बरामद करके दिखाया था ? अब उस एके 47 का क्या होगा ? अगर वह लियाकत अली शाह की नहीं थी तो फिर किसकी थी ? पुलिस ने किसके आदेश पर यह झूठी कहानी गढ़ी थी ? अब इस केस का क्या होगा ? क्या यह केस भी बाकी केस की तरह बंद होगा या फिर उन पुलिस वालों के खिलाफ कोई कार्रावाई की जायेगी जिन्होंने इस तरह की झूठी कहानी गढ़ीं हैं ? या फिर उन्हें भी ऐसे ही किसी अगले गुर्गे के लिये छोड़ दिया जायेगा। दूसरे सवाल मीडिया से हैं क्या मीडिया अब इस खबर को भी उसी तरह साजिश का पर्दाफाश करते हुऐ दिखायेगी जैसे लियाकत अली शाह की गिरफ्तारी के वक्त दिखाया था ? पैन डिस्सकशन किये थे ? हफ्तों टीवी पर यही खबर नजर आती थी क्या अब हफ्तों तक इस खबर को चलाया जायेगा और माफी मांगी जायेगी लियाकत अली शाह से ? क्या अखबार भी माफी नाम प्रकाशित करेंगे कि उन्होंने लियाकत अली शाह को अपने अखबारों में आतंकी लिख था ? क्या यह खबर कल को उनकी लीड स्टोरी होगी,. या बैनर स्टोरी ? अगर मीडिया का जवाब न में है तो समझ लीजिये कि कायरता वशीभूत मीडिया सिर्फ उसे ही टार्गेट करना जानता है जिसके लिये आवाज उठाने वाले न के बराबर हैं। अगर इन सवालों का जवाब न में है तो समझ लीडजिये इस मीडिया का एक अघोषित युद्ध भारतीय मुसलमानों से जारी है,........ जिसमें से पूर्वाग्रह से ग्रस्त होने की बू अक्सर आती रहती है। जरूरी नहीं कि इस देश का पढ़ा लिखा और सैक्यूलर सोच रखने वाला तबका का मीडिया की इस सोच पर # टैग के साथ लिखना शुरु कर दे कि
RIP Indian Media,
فیس بک
Wakram Tyagisim A

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