Wednesday 10 February 2016

میت کی بے حرمتی

कब्र में दफ़न मुर्दे को निकाल कर घर में फेंक गए-क्योंकि मुहम्मद यूसुफ़ वहाबी थे और उन्हें सुन्नी कब्रिस्तान में नहीं दफ़नाया जा सकता

IN राजस्थान, राज्य / ON FEBRUARY 10, 2016 AT 1:00 PM /

उदयपुर। जिंदगी भर पाकीजगी के धागे बुनने वाले शहर के प्रमुख मोली व्यवसायी और खांजीपीर निवासी मुहम्मद यूसुफ -88 वर्षीय- ने जिंदगी में कभी नहीं सोचा होगा कि मौत एक दिन उनकी ऐसी बेकद्री करेगी।जिस समाज को उन्होंने ताउम्र प्रेम और धर्म की पाकीजगी भरे धागों में बांधने की कोशिश की उसी समाज के कुछ लोग उनको कब्रिस्तान में न केवल दो गज जमीन नहीं देंगे, बल्कि उनकी गड़ी हुई देह तक को बड़ी बेरहमी से निकालकर उनके घर में फेंक जाएंगे।महज इसलिए कि उन्हें समाज एक तबका वहाबी या देवबंदी मानता था। समाज के लाेगों का कहना है कि उदयपुर में रहने वाले 98 प्रतिशत से ज्यादा मुसलिम सुन्नी या बरेलवी हैं। मुहम्मद यूसुफ की देह मंगलवार को देर रात मंदसौर में उनके पैतृक गांव में सुपुर्दे खाक की गई जिसे उन्होंने छह दशक पहले छोड़ दिया था।

सुबह 11 बजे दफनाया, पौने 12 बजे मैयत घर भेज दी
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मौली-लच्छा बनाने वाले मुहम्मद यूसुफ का देहांत सोमवार देर रात एक बजे हो गया था। मुहम्मद यूसुफ को मंगलवार सुबह 11 बजे अश्विनी बाजार स्थित कब्रिस्तान में दफनाया गया। परिजनों ने बताया कि कुछ देर बाद ही घर पर फोन आने लगे कि आप मैयत कब्रिस्तान से निकालो क्योंकि मुहम्मद यूसुफ वहाबी थे और उन्हें सुन्नी कब्रिस्तान में नहीं दफनाया जा सकता।उनके बेटे हामिद हुसैन ने बताया मैंने उन लोगों से कहा : मैंने तो अपने वालिद को अल्लाह के सुपुर्द कर दिया है। लेकिन वे नहीं माने और कुछ ही देर बाद पौने 12 बजे एंबुलेंस में वे मैयत हमारे घर छोड़ गए। इसके बाद मैं और मेरा बेटा तफज्जुल मैयत लेकर मंदसौर रवाना हो गए, जहां देर रात उनको सुपुर्दे खाक किया गया। फातेहा भी बुधवार को मंदसाैर में ही पढ़ा जाएगा। उनके एक बेटे हामिद हुसैन यहां जिला अदालत में वकील हैं और दूसरे बेटे मुहम्मद हुसैन आबकारी विभाग में यूडीसी हैं।

क्याें हैं लोग मुहम्मद यूसुफ से नाराज
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परिजनों का कहना है कि मुहम्मद यूसुफ आैर उनका परिवार भी सुन्नी मुसलमान ही हैं, लेकिन लिखकर देने के बावजूद कोई मानने को तैयार नहीं होता। वजह ये कि 1998-99 में एक बार कुछ लोगों के साथ उनकी बहस हो गई थी। इस बहस में तकरार हो जाने पर उन्हें कहा गया कि वे तो वहाबी हैं। यूसुफ कुछ जिद्दी और गुस्सैल थे। उन्होंने कह दिया : हां हूं, तो क्या कर लोगे। इसके बाद ही झगड़ा और तनातनी बढ़ती गई। वे कुरआन के जानकार भी बताए जाते हैं। उनके कुछ रिश्तेदारों और दाेस्तों ने उन्हें समझाया कि वे जुर्माना भरकर या अपनी गलती मानकर सबके साथ हो लें, लेकिन वे अपनी बात पर डटे रहे। इसी से लोग उनसे इतना नाराज थे।

सहमा हुआ है पूरा परिवार : पूरा परिवार गमजदा है। महिलाएं, बच्चियां और अन्य लोग बुरी तरह डरे हुए हैं। उनको आशंका है कि जो लोग मैयत को कब्र से निकाल सकते हैं, वे जिंदा लोगों के साथ भी न जाने क्या कर गुजरें। भास्कर ने काफी कोशिश की, लेकिन डरे हुए परिजन टिप्पणी करने को तैयार नहीं हुए। उनके बेटे वकील हामिद हुसैन ने कहा : मैं तो सब्र कर रहा हूं। मुझ पर तो दोहरी मार पड़ी है।

शिकायत नहीं आई : पुलिस
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पुलिस के अधिकारी घटनाक्रम पर नजर बनाए रहे, लेकिन उन्होंने न तो कोई टिप्पणी की और न ही कोई कार्रवाई की। उनका कहना था कि हमारे पास कोई शिकायत नहीं आई।

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