Wednesday 13 December 2017

झाँसी की रानी द्वारा अंग्रेजों को लिखे गए ख़त का हिन्दी अनुवाद पढ़िए

झाँसी की रानी द्वारा अंग्रेजों को लिखे गए ख़त का हिन्दी अनुवाद पढ़िए 
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परम आदरणीय अंग्रेज बहादुर, 12 June 1857
रानी का आपको सादर प्रणाम,
झांसी में कुछ सिरफिरे विद्रोहियों ने बवाल कर दिया, और अंग्रेजी सैनिकों को मार डाला और मैं उनके लिए कुछ न कर पाई, इसका बहुत ही ज्यादा अफसोस है। मेरा तो कलेजा ही मुंह को आ गया गोरी-गोरी लाशें देखकर देख कर।
क्या करती! करीब 100 ही तो आदमी हैं जिन्हें चाहे नौकर कह लो या सिपाही। बंदूकें तक तो गिनी-चुनी हैं। ज़्यादातर तो लट्ठछाप हैं।
उन्हीं के बल पर विद्रोहियों को ठोंक पीटकर सही करने में लगी हूं।
दिक्कत ये है कि मुझ पर आप नाहक शक करते हैं और सेना में भर्ती करने की छूट दे ही नहीं रहे हैं। कुछ सैनिक और भर्ती कर पाती तो सारे विद्रोहियों को गाजर-मूली की तरह काटकर फिंकवा देती।
जब से विद्रोह हुआ है तभी से मैं उनको कुचलने में लगी हूं। मेरा भी है न, बहुत नुकसान हुआ है। आप तो बिल्कुल मानते ही नहीं न। सच्ची, बहुत खराब हो आप। खामखां मेरी वफा पर शक करते रहते हो!
आप मुझ पर अपनी कृपा बनाए रखिए, बस।

आपकी स्वामिभक्तिन
लक्ष्मी
(अनुवादक - महेंद्र यादव)


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