Thursday 7 April 2016

गुडीपाडवा त्यौहार का सच

गुडीपाडवा त्यौहार महाराष्ट्र में खासकर मनाया जाता है। लेकिन बहोत सारे मूलनिवासी, शुद्र मराठा समाज ने अब तक इसके पीछे का इतिहास जानने की कभी कोशिश नहीं की। हालाकि संभाजी ब्रिगेड, भारत मुक्ती मोर्चा, बामसेफ ने सच्चा इतिहास बताने का काम शुरू किया है। लेकीन अभी भी बहुत सारे लोगों को इसका ज्ञान नहीं है।
गुडीपाडवा के दिन शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज को ब्राह्मणों ने औरंगजेब को धोखा करके पकड़ के दिया था और उनको मनुस्मृति के अनुसार सजा दी गयी थी। ब्राह्मणों ने उनका सर काट के भाले पर लटकाया था और उसका जुलूस निकाला क्योंकि उन्होंने बुद्ध भूषण नाम का ग्रन्थ बहुत कम उम्र में लिखा था और ब्राह्मणों की दादागिरी को ललकारा था। बहुत सारे ब्राह्मण चोरो को भी उन्होंने पकडवा कर संभाजी महाराज के हवाले किया था और संभाजी महाराज ने उन्हें सजा भी दी थी। इसका बदला लेने के लिए ब्राह्मणों ने संभाजी महाराज की बदनामी की और उनको धोखे से मार डाला, वो आज ही के दिन, गुडीपाडवा ! कह जाता है कि ये त्यौहार श्री राम अयोध्या वापिस आने पर उनके स्वागत के लिए मनाया जाता है, लेकिन जहा श्री राम वापस आया था उस अयोध्या नगरी में तो कोई गुडीपाडवा उत्सव नहीं मनाता? तो फिर महाराष्ट्र में ही क्यों? क्या मराठा समाज को ये विचार कभी आया है?
जब मराठा लोग एक दूसरों को गुडीपाडवा दिन की बधाई देते है तो हमें बड़ा दुःख होता है और उनके अज्ञान पर बड़ा तरस आता है।
औरंगजेब ने संभाजी महाराज की तरह किसी कि भी हत्या नहीं की थी ! महाराज को सरल तरीके से मारने के बजाय अलग-अलग दंड क्यो दिया?
सबसे पहले महाराज की जीवा काटी गयी ! इससे अनुमान लागाया जा सकता है कि संभाजी महाराज ने संस्कृत भाषा पर प्रभुत्व हासिल किया था ! उन्होने चार ग्रंथो कि रचना की थी, इसलिये सबसे पहले उनकी जीवा काटने की सलाह ब्राह्मणों ने दी थी ! उसके बाद महाराज के कान, नाक आंखे और चमडी निकाली गयी ! यह घीनौना दंड “मनुस्मृती” संहिता के अनुसार दिया गया ! मतलब औरंगजेब के माध्यम से ब्राह्मणों संभाजी महाराज को यह दंड दिया ! कवी कुलेश को भी औरंगजेब ने जिंदा नहीं छोडा ! क्योंकी अपनी जान से भी ज्यादा चाहने वाले संभाजी महाराज जैसे स्वाभिमानी, निर्मल और चाहिते दोस्त के साथ यदि कुलेश गद्दारी कर सकता है, तो वह हमारे साथ भी गद्दारी कर सकता है, इस बात को सोचते हुये औरंगजेब ने कुलेश की भी जान ले ली !
औरंगजेब ने अपने सगे भाई तथा चाहिते सरदार दिलेरखान, मिर्झाराजे, जयसिंह इन वफादार सरदारों को भी मार डाला ! इसलिये मदद करने वाले कवी कुलेश को जिंदा रखना औरंगजेब के लिए संभव नहीं था ! क्योंकी औरंगजेब ने कवी कुलेश को उसके काम की पुरी किमत अदा की थी ! औरंगजेब ने संभाजी महाराज को धर्मद्वेष के कारण नहीं मारा बल्कि राजनीतिक संघर्ष की वजह से मारा ! औरंगजेब ने संभाजी महाराज को केवल दो सवाल पूछे ! पहला सवाल ,’
आपके खजाने की चाबिया कहा है? ‘
और दुसरा सवाल था , ‘हमारे सरदारों मे आपकी मुखबिरी करने वाला सरदार कौन है?’
इसका मतलब औरंगजेब ने संभाजी महाराज को धर्मांतरण करने का आग्रह नहीं किया और ना हि संभाजी महाराज ने इसके बदले मे औरंगजेब के सामने उसकी लडकी की मांग रखी ! संभाजी महाराज की हत्या के पश्चात ब्राह्मणों ने अपनी जीत के तौर पर ” गुडीपाडवा ‘ शुरू किया !

https://bheemsangh.wordpress.com/2015/04/05/%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%A1%E0%A5%80%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A1%E0%A4%B5%E0%A4%BE-%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%8C%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%9A/

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