Monday 29 December 2014

Who Is Afraid Of PK? पीके से कौन डरता है?

वह किसी दूसरे ग्रह से आया था। यह समझ नहीं पा रहा था कि धरती पर धर्म की रेखाएं किसने खींची हैं। वह इंसान की पीठ पर उसकी मोहर खोज रहा था। वह देवताओं से प्रकट होने का आह्वान कर रहा था। वह देवताओं के खो जाने की ख़बर दे रहा था। वह देवताओं को अपने बचाव के लिए इस्तेमाल कर रहा था।
उसकी इन गुस्ताखियों से देवता रूठे होते तो विधू विनोद चोपड़ा की बनाई और राजू हिरानी की निर्देशित आमिर खान की फिल्म पीके इतनी कामयाब नहीं होती। भक्तों से भरी हुई यह दुनिया भी नाराज़ हुई होती तो उसने सवा दो सौ करोड़ इस फिल्म को नहीं दिए होते। लेकिन देवताओं और उन्हें मानने वालों के बीच खड़े मंदिरों-मस्जिदों, गिरिजाघरों और मठों में बैठे कुछ गुरु, महंत, बाबा नाराज़ हैं कि पीके ने उनका मज़ाक बनाया है। इसके पीछे वे अपने-अपने ढंग से अपने-अपने पंथ का अपमान देख रहे हैं।
  नहीं, पीके कोई महान फिल्म नहीं है। वह एक कारोबारी फिल्म ही है जो मनोरंजन करती है। बेशक, यह मनोरंजन करते-करते वह कुछ अंधविश्वासों पर प्रहार करती है, कुछ पाखंडों की तरफ़ ध्यान खींचती है। लेकिन यह फिल्म भक्तों की कलई खोलती है, मगर भगवान से डर जाती है। वह किसी ईश्वर, किसी देवता, किसी मठ को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश तक नहीं करती। उसे अंदाज़ा है कि हिंदुस्तान को भले इसकी ज़रूरत हो, लेकिन धर्म और सियासत की दुकानें चलाने वालों को ये मंज़ूर नहीं होगा।
  मगर पीके अगर भगवान से डर रही है तो धर्म के ठेकेदार पीके से डरे हुए हैं। क्योंकि उन्हें भी भगवान को नहीं, अपने उस पाखंड को बचाना है जिससे उनकी दुकान चलती है। इस हिंदुस्तान में अब देवताओं की परीक्षा कुछ ज़्यादा ही कड़ी हो गई है।
मंदिरों-मस्जिदों मठों में अब देवताओं से ज़्यादा ऐसे भक्त काबिज़ हैं जो धर्म से ज़्यादा राजनीति का खेल खेलते हैं। इन्हें आधुनिकता डराती है, खुलापन डराता है, मनोरंजन डराता है, सदभाव भी आतंकित करता है। वे सबको गीता पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन ईश्वर के विराट रूप पर ख़ुद भरोसा नहीं करते। वे एक फिल्म के जवाब में फिल्म नहीं बना सकते, वे एक कविता के जवाब में अच्छी कविता नहीं लिख सकते, वे एक पेंटिंग के जवाब में अच्छी पेंटिंग नहीं बना सकते। उन्हें बस जलाना, तोड़ना और ध्वस्त करना ही आता है। ऐसे भक्तों से देवता भी डरते हैं।

'पीके' का कोई भी सीन हटाने से सेंसर बोर्ड का साफ इनकार
बॉलीवुड स्टार आमिर खान की फिल्म 'पीके' के कथित आपत्तिजनक दृश्यों पर पाबंदी लगाने की हिंदूवादी संगठनों की मांग के बीच सेंसर बोर्ड ने ऐसी कोई भी कार्रवाई करने से साफ इनकार कर दिया है।
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की अध्यक्ष लीला सैमसन ने कहा कि बोर्ड 'पीके' से कोई भी दृश्य नहीं हटाएगा, क्योंकि यह फिल्म पहले ही रिलीज की जा चुकी है।
लीला ने बताया, 'हर फिल्म किसी न किसी की धार्मिक भावनाएं आहत कर देती है... हम गैर-जरूरी तरीके से दृश्य नहीं हटा सकते। रचनात्मक प्रयास नाम की एक चीज होती है, जिससे लोग अपने अंदाज में चीजों को पेश करते हैं। हम पहले ही 'पीके' को प्रमाण-पत्र दे चुके हैं। अब हम कुछ भी नहीं हटा सकते, क्योंकि यह पहले ही सार्वजनिक हो चुकी है।'
राजकुमार हिरानी के निर्देशन में बनी फिल्म 'पीके' भारत में फल-फूल रहे बाबाओं के बाजार पर एक कटाक्ष है और आमिर इसमें मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। इस फिल्म में अनुष्का शर्मा, संजय दत्त और सुशांत सिंह राजपूत ने भी अभिनय किया है।

(Ndtv India)

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