किया है कहानी?
आईएसआईएस के लिए 'जंग लड़ने' इराक गए आरिफ माजिद से एनआईए की पूछताछ में कई अहम 'जानकारियां' मिली हैं। एनआईए अब उसका नार्को टेस्ट कराने की योजना बना रही है। शुक्रवार को गिरफ्तार किए जाने के बाद 8 दिसंबर तक के लिए रिमांड में भेजे गए आरिफ ने बताया है कि आईएसआईएस तक पहुंचने के लिए उसने 20 हजार से ज्यादा वेबसाइट्स को खंगाला। एक अंग्रेजी अखबार ने आरिफ द्वारा एनआईए को दी गई जानकारी को सूत्रों के हवाले से प्रकाशित किया है। जानें, कैसा इराक पहुंचा और वहां से वापस लौटा आरिफ
ऐसे हुई शुरुआत
आरिफ और उसके 6 दोस्त शाम की नमाज के वक्त मस्जिद पर इकट्ठे होते थे और वहां ज्यादा समर्पित मुसलमान बनने के तरीकों के बारे में चर्चा किया करते थे। आरिफ ने इस मकसद को पूरा करने के लिए वेबसाइट्स सर्च करने शुरू किए। इस दौरान, उसे आईएसआईएस के बारे में पता चला और वह इस संगठन से काफी प्रभावित हुआ। इसके बाद, आरिफ आईएसआईएस से संपर्क करने की कोशिश करने लगा। आखिरकार एक वेबसाइट पर उसे अपने काम का एक नंबर मिल ही गया। आरिफ ने बताया कि इस नंबर को पाने के लिए उसने 20 हजार से ज्यादा साइट्स खंगाले।
आईएसआईएस से मिला लोकल कॉन्टैक्ट
इस नंबर पर बातचीत करने के बाद आरिफ को कल्याण के पास भिवंडी के रहने वाले एक शख्स का नंबर मिला। इसके बाद, आरिफ ने यह सारा घटनाक्रम अपने दोस्तों को बताया। फहाद शेख, अमन टंडेल और शाहीन टंकी उसके साथ इराक जाने के लिए तैयार हो गए। भिवंडी के लोकल कॉन्टैक्ट ने आरिफ को यात्रा के लिए जरूरी रकम देने के लिए हामी भरी। इसके बाद, ये सभी राहत ट्रेवेल्स नाम की ट्रेवेल एजेंसी के संपर्क में आए। इस एजेंसी ने इनके इराक जाने का बंदोबस्त किया। इराक के हालात उस वक्त तक काफी बिगड़ चुके थे, इसलिए इन्होंने बहाना बनाया कि वे तीर्थयात्रा पर जा रहे हैं।
लोकल कॉन्टैक्ट ने दी ढाई लाख से ज्यादा की रकम
लोकल कॉन्टैक्ट से मिले पैसों से 60 हजार रुपए प्रति यात्री के हिसाब से पेमेंट करने के बाद ये चारों इराक के लिए 25 मई के लिए निकले। आरिफ ने दक्षिणी मुंबई के डोंगरी स्थित अजमेरी टूर्स एंड ट्रेवेल से वीजा और अन्य दस्तावेज हासिल किए। चारों कल्याण से अलग-अलग घर से निकले और लोकल ट्रेन से मुंब्रा स्टेशन पहुंचे। मुुंब्रा में भिवंडी के लोकल कॉन्टैक्ट ने उन्हें और पैसे दिए। इसके बाद, ये चारों मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचे और इत्तिहाद एयरलाइंस की फ्लाइट से अबू धाबी पहुंचे। अबू धाबी से ये इराक गए। 27 मई को कर्बला, फिर 30 मई को बगदाद पहुंचे। यहां तक वे तीर्थयात्रियों के साथ आए थे। 31 मई को ये स्थानीय बाजार में गए और वहां से अपने लोकल गाइड को धता बताते हुए फरार हो गए।
मिला साफ सफाई और महिलाओं की पहरेदारी का काम
आरिफ के दोस्त शाहीन टंकी को आईएसआईएस के एक शख्स का फोन आया और उसने उन्हें फल्लुजाह से टैक्सी हायर करने को कहा। यह जगह मोसुल के काफी करीब है। मोसुल में ही 40 भारतीय मजदूरों को अगवा किया गया था। मोसुल पहुंचने के बाद इन्होंने इराकी संपर्क से कॉन्टैक्ट किया। उसकी मदद से आईएसआईएस के हिंद कैंप पहुंचे। इस कैंप ने उन्हें आईएसआईएस की विचारधारा, मिशन आदि के बारे में जानकारी दी गई। यहीं पर इनका ब्रेनवॉश किया गया। इसके बाद इन्हें ट्रेनिंग कैंपों में भेज दिया गया। यहां इन्हें बताया गया कि आईएसआईएस चीफ बगदादी भारतीय पुरुषों को जंग के लिहाज से बेहद कमजोर मानता है और उन्हें मैदान ए जंग में नहीं भेजा जाएगा। यहां सिर्फ शाहिद टंकी ही शारीरिक परीक्षा पास कर पाया, जिसके बाद उसे हथियारों की ट्रेनिंग दी गई। आरिफ समेत बाकी तीन को आईएसआईएस के सोशल मीडिया टीम में भेज दिया गया। इसके अलावा, इन्हें सफाई, पानी भरने और बंधक बनाई गई महिलाओं की पहरेदारी काम दिया गया।
जंग लड़ने की मनाही पर भड़का आरिफ
आरिफ को जंग के मैदान में जाने पर मनाही थी। इस बात को लेकर उसे काफी कोफ्त होती थी। यहीं से उसका मूड बदलना शुरू हुआ। उसने देखा कि कुरान की नसीहतों का आईएसआईएस का कोई लेनादेना नहीं है। अातंकी लोगों की बेरहमी से कत्ल कर रहे थे और महिलाओं के साथ बलात्कार। जल्द ही ये चारोें अवसाद के शिकार हो गए। जिस जिहादी जन्नत का सपना लेकर वे गए थे, वो नर्क में तब्दील हो चुका था। जुलाई में आरिफ फायरिंग में घायल हो गया। उसकी हालत लगातार बिगड़ती गई क्योंकि कैंप में इलाज या खानेपीने की समुचित सुविधा नहीं थी। आरिफ ने किसी तरह अपने आकाओं को इस बात के लिए राजी कर लिया कि वे उसे इलाज के लिए तुर्की जाने दें। तुर्की पहुंचने के बाद उसने अपने परिवार से संपर्क किया। इसके बाद आरिफ के पिता ने गृह मंत्रालय को जानकारी दी और उसे वहां से लाने का इंतजाम किया गया।
आईएसआईएस के लिए 'जंग लड़ने' इराक गए आरिफ माजिद से एनआईए की पूछताछ में कई अहम 'जानकारियां' मिली हैं। एनआईए अब उसका नार्को टेस्ट कराने की योजना बना रही है। शुक्रवार को गिरफ्तार किए जाने के बाद 8 दिसंबर तक के लिए रिमांड में भेजे गए आरिफ ने बताया है कि आईएसआईएस तक पहुंचने के लिए उसने 20 हजार से ज्यादा वेबसाइट्स को खंगाला। एक अंग्रेजी अखबार ने आरिफ द्वारा एनआईए को दी गई जानकारी को सूत्रों के हवाले से प्रकाशित किया है। जानें, कैसा इराक पहुंचा और वहां से वापस लौटा आरिफ
ऐसे हुई शुरुआत
आरिफ और उसके 6 दोस्त शाम की नमाज के वक्त मस्जिद पर इकट्ठे होते थे और वहां ज्यादा समर्पित मुसलमान बनने के तरीकों के बारे में चर्चा किया करते थे। आरिफ ने इस मकसद को पूरा करने के लिए वेबसाइट्स सर्च करने शुरू किए। इस दौरान, उसे आईएसआईएस के बारे में पता चला और वह इस संगठन से काफी प्रभावित हुआ। इसके बाद, आरिफ आईएसआईएस से संपर्क करने की कोशिश करने लगा। आखिरकार एक वेबसाइट पर उसे अपने काम का एक नंबर मिल ही गया। आरिफ ने बताया कि इस नंबर को पाने के लिए उसने 20 हजार से ज्यादा साइट्स खंगाले।
आईएसआईएस से मिला लोकल कॉन्टैक्ट
इस नंबर पर बातचीत करने के बाद आरिफ को कल्याण के पास भिवंडी के रहने वाले एक शख्स का नंबर मिला। इसके बाद, आरिफ ने यह सारा घटनाक्रम अपने दोस्तों को बताया। फहाद शेख, अमन टंडेल और शाहीन टंकी उसके साथ इराक जाने के लिए तैयार हो गए। भिवंडी के लोकल कॉन्टैक्ट ने आरिफ को यात्रा के लिए जरूरी रकम देने के लिए हामी भरी। इसके बाद, ये सभी राहत ट्रेवेल्स नाम की ट्रेवेल एजेंसी के संपर्क में आए। इस एजेंसी ने इनके इराक जाने का बंदोबस्त किया। इराक के हालात उस वक्त तक काफी बिगड़ चुके थे, इसलिए इन्होंने बहाना बनाया कि वे तीर्थयात्रा पर जा रहे हैं।
लोकल कॉन्टैक्ट ने दी ढाई लाख से ज्यादा की रकम
लोकल कॉन्टैक्ट से मिले पैसों से 60 हजार रुपए प्रति यात्री के हिसाब से पेमेंट करने के बाद ये चारों इराक के लिए 25 मई के लिए निकले। आरिफ ने दक्षिणी मुंबई के डोंगरी स्थित अजमेरी टूर्स एंड ट्रेवेल से वीजा और अन्य दस्तावेज हासिल किए। चारों कल्याण से अलग-अलग घर से निकले और लोकल ट्रेन से मुंब्रा स्टेशन पहुंचे। मुुंब्रा में भिवंडी के लोकल कॉन्टैक्ट ने उन्हें और पैसे दिए। इसके बाद, ये चारों मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचे और इत्तिहाद एयरलाइंस की फ्लाइट से अबू धाबी पहुंचे। अबू धाबी से ये इराक गए। 27 मई को कर्बला, फिर 30 मई को बगदाद पहुंचे। यहां तक वे तीर्थयात्रियों के साथ आए थे। 31 मई को ये स्थानीय बाजार में गए और वहां से अपने लोकल गाइड को धता बताते हुए फरार हो गए।
मिला साफ सफाई और महिलाओं की पहरेदारी का काम
आरिफ के दोस्त शाहीन टंकी को आईएसआईएस के एक शख्स का फोन आया और उसने उन्हें फल्लुजाह से टैक्सी हायर करने को कहा। यह जगह मोसुल के काफी करीब है। मोसुल में ही 40 भारतीय मजदूरों को अगवा किया गया था। मोसुल पहुंचने के बाद इन्होंने इराकी संपर्क से कॉन्टैक्ट किया। उसकी मदद से आईएसआईएस के हिंद कैंप पहुंचे। इस कैंप ने उन्हें आईएसआईएस की विचारधारा, मिशन आदि के बारे में जानकारी दी गई। यहीं पर इनका ब्रेनवॉश किया गया। इसके बाद इन्हें ट्रेनिंग कैंपों में भेज दिया गया। यहां इन्हें बताया गया कि आईएसआईएस चीफ बगदादी भारतीय पुरुषों को जंग के लिहाज से बेहद कमजोर मानता है और उन्हें मैदान ए जंग में नहीं भेजा जाएगा। यहां सिर्फ शाहिद टंकी ही शारीरिक परीक्षा पास कर पाया, जिसके बाद उसे हथियारों की ट्रेनिंग दी गई। आरिफ समेत बाकी तीन को आईएसआईएस के सोशल मीडिया टीम में भेज दिया गया। इसके अलावा, इन्हें सफाई, पानी भरने और बंधक बनाई गई महिलाओं की पहरेदारी काम दिया गया।
जंग लड़ने की मनाही पर भड़का आरिफ
आरिफ को जंग के मैदान में जाने पर मनाही थी। इस बात को लेकर उसे काफी कोफ्त होती थी। यहीं से उसका मूड बदलना शुरू हुआ। उसने देखा कि कुरान की नसीहतों का आईएसआईएस का कोई लेनादेना नहीं है। अातंकी लोगों की बेरहमी से कत्ल कर रहे थे और महिलाओं के साथ बलात्कार। जल्द ही ये चारोें अवसाद के शिकार हो गए। जिस जिहादी जन्नत का सपना लेकर वे गए थे, वो नर्क में तब्दील हो चुका था। जुलाई में आरिफ फायरिंग में घायल हो गया। उसकी हालत लगातार बिगड़ती गई क्योंकि कैंप में इलाज या खानेपीने की समुचित सुविधा नहीं थी। आरिफ ने किसी तरह अपने आकाओं को इस बात के लिए राजी कर लिया कि वे उसे इलाज के लिए तुर्की जाने दें। तुर्की पहुंचने के बाद उसने अपने परिवार से संपर्क किया। इसके बाद आरिफ के पिता ने गृह मंत्रालय को जानकारी दी और उसे वहां से लाने का इंतजाम किया गया।
Mystery Continues Over 4 Kalyan Youth
Four Kalyan youth, who had gone missing since May 23 and alleged by the Indian security agencies to have gone to Iraq for taking up arms alongside Islamic State, are now reported to have called their parents seeking arrangement for return. According to reports, 26 November, Kalyan is a bustling city in neighbouring Thane district. Incidentally, one of the youth’s father, claimed he did not give any statement to the NIA.
Union Home Ministry sources have claimed that the four youth – Aman Tandel, Fahad Shaikh, Arif Majeed and Sahim Tanki – had reportedly gone to the war torn countries – Iraq and Syria. Mumbai police, including the ATS, and the national security agencies, which were investigating the whereabouts, had claimed that the youth had joined the Islamic State in Iraq and the Levant (ISIL).
Missing Kalyan Youths reportedly in Iraq
“We have information that the three other youth from Kalyan, who had also gone to Iraq to fight alongside IS fighters, also want to come back, though their families are yet to get in touch with the government or its agencies as in the case of Arif. His father Ejaz Majeed has sought help from the National Investigation Agency’s (NIA) sleuths. It may be the case that these youth are yet to come out of the fighting zone as Arif managed to flee from there,” Hindustan Times quoted the Home Ministry official requesting anonymity.
Even the Times of India quoted a senior intelligence officer, who said, “All four are in touch with their families here and sought facilitation for rescue and return. However, only Arif's family has contacted the NIA office in Mumbai and sought the intervention of the Centre to bring him back.”
This latest report from the Home Ministry sources contradicts the Indian security agencies claim earlier in September when it had gone on record to say one of these youth Arif Majeed has been killed in Mosul while fighting for Islamic State in Iraq.
It was reported that a militant website isaba.tk had eulogized Arif’s death terming it to be martyrdom and had called upon India’s Muslims to learn from Arif’s struggle. But now the ministry and intelligence sources are claiming that Arif Majeed is indeed alive and contacted his father Dr Ejaz Majeed urging him to facilitate for his return to India.
As reported, the authoritative government sources have said that Ejaz Majid had met senior NIA officers last Thursday in Mumbai and told them he had received a phone call from a mobile. It was his son Arif, who told him he had fled from IS-controlled areas to Turkey after fighting for the militant group, for nearly three months.
Incidentally, father of Dr Ejaz Majeed Arif – reported by security agencies in the past to have been killed – has told Kalyan police that he has not given any such statement to NIA officials, who are claiming that Arif asked for government’s help in bringing him back.
Hypothetically, if these youths are brought back to India and even if it was established that they indeed joined IS in its fighting then also it would not be possible for the Indian agencies to prosecute them under Indian penal code for terrorism activities or Unlawful Activities Prevention Act as Islamic State is not a terrorist organization as listed in the official gazette of the country.
A senior intelligence official, who spoke with ToI, conceded that the government is willing to take a sympathetic view on the matter but it was virtually impossible to negotiate the return of a person associated with a globally proscribed outfit. “Besides, who do we talk to about the return of the Kalyan youth still in the ISIS zone ...Who will go there to seek them out?” wondered the official.
A couple of months before, the Central agency has reported that it had verified information that Fahad Shaikh is working in an oil refinery and Saheem Tanki in a hospital in the Syrian city of Rakka but intelligence could not gather information about Arif Majeed and Aman Tandel.
Despite such conflicting reports in the media but the dilemma still exists over the fate of these four youths for which neither the family nor investigation agencies have any clear proof to ascertain destiny of the missing youths.
Four Kalyan youth, who had gone missing since May 23 and alleged by the Indian security agencies to have gone to Iraq for taking up arms alongside Islamic State, are now reported to have called their parents seeking arrangement for return. According to reports, 26 November, Kalyan is a bustling city in neighbouring Thane district. Incidentally, one of the youth’s father, claimed he did not give any statement to the NIA.
Union Home Ministry sources have claimed that the four youth – Aman Tandel, Fahad Shaikh, Arif Majeed and Sahim Tanki – had reportedly gone to the war torn countries – Iraq and Syria. Mumbai police, including the ATS, and the national security agencies, which were investigating the whereabouts, had claimed that the youth had joined the Islamic State in Iraq and the Levant (ISIL).
Missing Kalyan Youths reportedly in Iraq
“We have information that the three other youth from Kalyan, who had also gone to Iraq to fight alongside IS fighters, also want to come back, though their families are yet to get in touch with the government or its agencies as in the case of Arif. His father Ejaz Majeed has sought help from the National Investigation Agency’s (NIA) sleuths. It may be the case that these youth are yet to come out of the fighting zone as Arif managed to flee from there,” Hindustan Times quoted the Home Ministry official requesting anonymity.
Even the Times of India quoted a senior intelligence officer, who said, “All four are in touch with their families here and sought facilitation for rescue and return. However, only Arif's family has contacted the NIA office in Mumbai and sought the intervention of the Centre to bring him back.”
This latest report from the Home Ministry sources contradicts the Indian security agencies claim earlier in September when it had gone on record to say one of these youth Arif Majeed has been killed in Mosul while fighting for Islamic State in Iraq.
It was reported that a militant website isaba.tk had eulogized Arif’s death terming it to be martyrdom and had called upon India’s Muslims to learn from Arif’s struggle. But now the ministry and intelligence sources are claiming that Arif Majeed is indeed alive and contacted his father Dr Ejaz Majeed urging him to facilitate for his return to India.
As reported, the authoritative government sources have said that Ejaz Majid had met senior NIA officers last Thursday in Mumbai and told them he had received a phone call from a mobile. It was his son Arif, who told him he had fled from IS-controlled areas to Turkey after fighting for the militant group, for nearly three months.
Incidentally, father of Dr Ejaz Majeed Arif – reported by security agencies in the past to have been killed – has told Kalyan police that he has not given any such statement to NIA officials, who are claiming that Arif asked for government’s help in bringing him back.
Hypothetically, if these youths are brought back to India and even if it was established that they indeed joined IS in its fighting then also it would not be possible for the Indian agencies to prosecute them under Indian penal code for terrorism activities or Unlawful Activities Prevention Act as Islamic State is not a terrorist organization as listed in the official gazette of the country.
A senior intelligence official, who spoke with ToI, conceded that the government is willing to take a sympathetic view on the matter but it was virtually impossible to negotiate the return of a person associated with a globally proscribed outfit. “Besides, who do we talk to about the return of the Kalyan youth still in the ISIS zone ...Who will go there to seek them out?” wondered the official.
A couple of months before, the Central agency has reported that it had verified information that Fahad Shaikh is working in an oil refinery and Saheem Tanki in a hospital in the Syrian city of Rakka but intelligence could not gather information about Arif Majeed and Aman Tandel.
Despite such conflicting reports in the media but the dilemma still exists over the fate of these four youths for which neither the family nor investigation agencies have any clear proof to ascertain destiny of the missing youths.
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