आज सरकार का ज़ोर हर तरह की सब्सीडी को
समाप्त करने पर है जिसकी सबसे पहले शुरुआत
पेट्रोल और डीजल से की गई फिर गैस सिलिंडर
पर , और इन सब सब्सीडी को समाप्त करने के
लिए किसी ने माँग नहीं की उल्टे जनता
नाराज हुई और उसे समझाने के लिए करोड़ों रूपये
खर्च करके प्रचार किया गया “मन की बात”
की गई कि सब्सीडी खत्म करना कैसे देश हित में
है। आज जब रूपये 150-200 की सब्सीडी छोड़ने के
लिए अभियान चलाया जा रहा है तो एक मुस्त
690 करोड़ रूपये की सब्सीडी छोड़ने की देश का
मुसलमान मांग कर रहा है तो सरकार क्युँ नहीं
माँग रही है उनकी बात ? और हज सब्सीडी
समाप्त करके हज यात्रा को सरकारी नियंत्रण
से मुक्त करती है ? क्युँकि सब्सिडी का लाभ
हाजियों को नहीं बल्कि एयर इंडिया को
दिया जाता है और इसी हज सब्सिडी के
ज़रिये स्वामी जैसे घोर संप्रदायिक लोग
काफी वक़्त से मुसलमानो को शर्मशार करतें रहें
हैं ।
आइये ज़रा कुछ हिसाब किताब निकलतें हैं ।।
कैलकुलेशन ऑफ़ सब्सिडी
फिलहाल मक्का शरीफ से इंडिया के लिये
हाजियों का कोटा एक लाख छत्तीस हज़ार
(1,36,000) का है ।
पिछले साल हमारी गवर्नमेंट ने सालाना बजट में
691 करोड़ हज सब्सिडी के तौर पर मंज़ूर किये थे
।
691 करोड़ ÷ 1.36 लाख = 50.8 हज़ार
यानी एक हाजी के लिए 50000 रुपये ।।
अब ज़रा खर्च जोड़ लेते हैं
पिछले साल एक हाजी को हज के लिए गवर्नमेंट
को एक लाख अस्सी हज़ार (1,80,000) देने पड़े ।
जिसमे चौतीस हज़ार (34,000) लगभग 2100
रियाल मक्का पहुँचने के बाद खर्च के लिए वापस
मिले।
1.8 लाख – 34000 = 1.46 लाख
यानि हमें हमारी गवर्नमेंट को एक लाख
छियालीस हज़ार (1,46,000) रुपये अदा करने
पडतें हैं ।।
दिल्ली मुम्बई लखनऊ से जद्दाह रिटर्न टिकट 2
महीने पहले बुक करतें हैं तो कुछ फ्लाइट का
किराया 25000 रुपये से भी कम होगा । फिर
भी 25000 रुपये मान लेतें हैं । (irctc पर चेक कर
लीजिये)
खाना टैक्सी/बस का बंदोबस्त हाजियों को
अलग से अपनी जेब से करना होता है ।
गवर्नमेंट को अदा किये एक लाख छियालीस
हज़ार रुपये (1,46,000) में से होने वाला खर्च
फ्लाइट = 25,000
मक्का में रहना(25दिन) = 50,000
मदीना में रहना(15दिन) = 20,000
अन्य खर्चे = 25,000
कुल खर्च हुआ =1,20,000
�� कन्फ्यूज़न ��
मतलब एक हाजी से लिये 1,46,000 रुपये और खर्च
आया 1,20,000 रुपये मतलब एक हाजी अपनी जेब
से गवर्नमेंट को रूपये 26,000 अधिक देता है ।
अब असल मुद्दा ये है की जब हाजी सारा
रुपया अपनी जेब से खर्च करता है और उसके ऊपर
भी 26,000 रुपये और गवर्नमेंट के पास चला जाता
है । मतलब लगभग एक हाजी से रूपये 50 हज़ार
सब्सिडी मिला कर गवर्नमेंट के पास 76,000
हज़ार हो जाता है तो ये पैसा जाता कहाँ है
।।
26,000+50,000 =76000 (बचत)× 1,36,000 हाजी
=10,33,60,00,000 (दस अरब तेतीस करोड़ साठ
लाख रुपया)
याद रहे की एयर इंडिया कंपनी फिलहाल 2100
करोड़ के घाटे में चल है , हराम के पैसे से घाटा
पूरा हो रहा है और सब्सिडी के लिए बात
हाजी सुनते हैं और रुपया एयर इंडिया कंपनी और
पॉलिटिशियन के जेब में जाता है । ध्यान
दीजिए कि सऊदी अरब सरकार एयर इंडिया
को हज यात्रा के लिए एक तरफ के हवाई जहाज़
का ईधन भी मुफ्त में देती है जिसे यह हरामखोर
खा जाते हैं।
यह प्रति व्यक्ति खर्च का गणित है ।यदि एक
लाख छत्तिस हजार हज यात्रियों को हज
कराने का टेंडर निकाला जाए तो इसमें 10 से 15
हजार रूपए की और बचत होगी ।जो खर्च बताए
गए हैं उनमें एक रूपये का भी अन्तर नहीं है क्योंकि
उमरा करने पर लगभग यही खर्च आता है । औकात
है तो बन्द करो हज सब्सिडी और हज यात्रा
को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करो।
जैसे गैस सिलिंडर की सब्सीडी से एक गरीब के
घर चुल्हा जलाने की इच्छा रखते हो नरेंद्र मोदी
जी वैसे ही हज सब्सीडी के पैसे से किसी
सनातन धर्म के गरीब को “कैलाश मानसरोवर”
की यात्रा करा दो मुसलमान तुम्हारा ऋणी
रहेगा ।
अपील :- बजट सत्र प्रारंभ होने वाला है इसलिए
हज सब्सीडी को लेकर यह मेरी फिर से की गई
पोस्ट है जिसे इतना शेयर किया जाए कि
सरकार तक यह आवाज पहुँच जाए और इसी बजट
सत्र में हज यात्रा को सरकारी नियंत्रण से
मुक्त करके हज सब्सीडी समाप्त किया जाए।
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