Friday, 23 January 2015

न देखी होगी ऐसी ‘आजादी’

देश ने ऐसी ‘आजादी’ गुलामी के वक्त भी न देखी होगी, जब वायसराय भारत आते या जाते होंगे, जैसा कि अब देखने को मिलता है। हमारे सामने यह तीसरी बार होने को जा रहा है, जब क्लिंटन भारत आते हैं तो अनंतनाग कश्मीर में सिक्खों को मार दिया जाता है उग्रवादी बताकर, किसने मारा ? सब जानते हैं ? क्यों मारा यह थोड़ा कम जानते हैं ? उसके बाद बुश आते हैं बापू की समाधी पर अपना कुत्ता लेकर चढ़ जाते हैं उन्हीं बापू की समाधी पर जिस पर आम आदमी आसानी से नहीं जा सकता वहां पर एक राष्ट्रपति का कुत्ता चढ़ाया गया ? देश को शर्म नहीं आयी ? देश के संचालकों तो बिल्कुल भी नहीं, अब ओबामा आ रहे हैं, हर तरफ खबरा ओबामा के आने की हो रही है मियां 26 जनवरी जो महज अब एक राष्ट्रीय अवकाश बनकर रह गया है उसके बारे में भी तो कुछ बोल दीजिये। या सिर्फ OM यानी O फोर ओबामा M फोर मोदी ही रह गया है ? ओबामा की सुरक्षा में 80 हजार से ज्यादा जवान तैनात किये गये हैं जबकि भारत में 709 नागरिकों की सुरक्षा के लिये मात्र एक पुलिस वाला तैनात है। उसके बाद भी ओबामा को न भारत की बुलेटप्रूफ गाड़ी पर भरौसा है और न ही सुरक्षा में तैनात किये गये जवानों पर। ओबामा खुद अपनी सुरक्षा के लिये अपनी एस्कॉर्ट लेकर आ रहे हैं। यानी इज्जत के साथ भारतीय सिस्टम, भारत जलील हो रहा है। इसे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की चाटूकारिता कहें या फिर कुछ और नाम दिया जाये ? देश के लोगों को यह बिल्कुल भी बुरा नहीं लग रहा है देश को लोगों को नहीं लग रहा है तो मुझे क्यों लगेगा ? मगर फिर भी सवाल तो उठता ही है, साब अभी किसी देश के कौने में साप्रदायिक दंगे, या सांप्रदायिक हिंसा की खबर आ जाये वहां पर जवान जब तक नहीं भेजे जायेंगे जब चक हालात बेकाबू न हो जायें ? मगर ओबामा आ रहे हैं तो पहले से ही तैयारी कर ली वह भी अस्सी हजार ? इतनी सुरक्षा तो हमारे राष्ट्र के राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक पास भी नहीं है। वह दरअस्ल क्या है हम लोग भारतीय हैं और भारतीयों को इज्जत के साथ जलील होने में मजा आता है, अपना ही जूता पर अपने सर पर मारने में मजा आता है, दो साल पहले मेरे गांव में कलवा चाचा की गाय ब्याही थी उसका बछड़ा अब बैल बन गया है, मगर भारत तो 1947 में आजाद हुआ था मगर उस भारत के बच्चे बैल जरूर हैं मगर तेली वाले....
@Wasim Akram Tyagi की कलम से

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